बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विधानसभा के दो दिवसीय सत्र के पहले दिन उनका अभिभाषण नहीं कराये जाने को लेकर शुक्रवार को सवाल उठाए। धनखड़ ने मुख्यमंत्री द्वारा गैर बंगाली अधिकारियों के साथ उनके (मुख्यमंत्री के) संबंधों का जिक्र करने पर भी चिंता जताई। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि संविधान का पालन करना अनिवार्य एवं अपरिहार्य है। अनुच्छेद 176 कहता है कि हर वर्ष के पहले सत्र में राज्यपाल विधानसभा को संबोधित करेंगे, यह दिखाता है कि केवल बंगाल विधानसभा ही है जहां यह नहीं हुआ।
विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने गुरुवार को कहा था कि यदि सदन पिछले सत्र की निरंतरता में हुआ है, चाहे यह नववर्ष में ही हुआ है, तो सदन में राज्यपाल के अभिभाषण का कोई प्रावधान नहीं है तथा इसमें किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि विधानसभा का वर्तमान सत्र सितंबर 2020 के उसी सत्र की निरंतरता में हुआ है जब विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई थी।
धनखड़ ने मुख्यमंत्री द्वारा गैर बंगाली अधिकारियों के साथ उनके (मुख्यमंत्री के) संबंधों का जिक्र करने पर भी शुक्रवार को चिंता जताई। दरअसल ममता ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के मुख्यालय में हिंदी भाषी लोगों से बातचीत करते हुए कहा था कि डीजीपी वीरेंद्र, पूर्व मुख्य सचिव राजीव सिन्हा और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार जैसे उनके कई अधिकारी अन्य राज्यों से हैं लेकिन इन अधिकारियों के साथ उनके संबंध बहुत ही अच्छे हैं।
इस बाबत राज्यपाल ने कहा कि इससे नौकरशाहों की राजनीतिक तटस्था से समझौता किया गया है। उन्होंने ट्वीट किया कि अधिकारियों के नाम पर क्यों? इसमें प्रशासन तथा पुलिस को क्यों घसीटा? निश्चित ही राज्य सरकार में अधिकारियों की पदस्थापना क्षेत्रवाद या अन्य विषयों पर विचार करके नहीं की जा सकती। अब उच्च मानक तय करने का समय आ गया है जो पिछले चुनाव में निम्नतर रहे हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को भाजपा पर बंगालियों और गैर-बंगालियों को बांटने का आरोप लगाते हुए राज्य की हिंदी भाषी आबादी से विधानसभा चुनाव में टीएमसी को समर्थन देने की अपील की थी।
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