कोरोना से जिले में हो रही व होनेवाली मौत के बाद शवों को दफ्नाने को लेकर शनिवार को डीसी उमाशंकर सिंह ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बलियापुर पहुंचे। आमझर मौजा स्थित शमशान घाट स्थल का जायजा लिया। इसकी जानकारी शाम को ग्रामीणों को होने के बाद वे एकजुट होकर रात में हरिमंदिर के पास बैठक की। प्रशासन के निर्णय का तीव्र विरोध किया। बैठक में ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी हालत में कोरोना बीमारी से मौत के बाद शवों की अंत्येष्टि यहां नहीं करने दी जाएगी।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में वैश्विक महामारी से संक्रमित की मौत के बाद उसकी अंत्येष्टि होने से अगल बगल के गांव में भी संक्रमण बढऩे की आशंका बनी रहेगी। ग्रामीण असुरक्षित महसूस करने लगेंगे। बैठक में मौजूद कई प्रबुद्ध लोगों का कहना था कि अगर प्रशासन को कोरोना से हो रही मौत के बाद शव को दफनाने के लिए जगह की जरूरत हो तो दामोदर नदी किनारे सरिसाकुंडी नदी घाट पर स्थित श्मशान के बगल में यह सुविधा हो सकती है। क्योंकि दामोदर नदी के किनारे सरिसाकुंडी के अगल-बगल ईसाई धर्मावलंबियोंए मुस्लिमों के साथ हिंदू धर्म के लोग भी शवों को दफनाने तथा अंत्येष्टि करते हैं। बैठक के पश्चात ग्रामीण गांव के शमशान घाट के पास भी पहुंचे। यहां दिन को डीसी जिला समेत अन्य पदाधिकारियों ने स्थल का मुआयना किया था। ग्रामीणों ने आज रात भर श्मशान घाट की निगरानी करते रहने पर भी निर्णय लिया है।
बैठक में पंचायत के मुखिया संतोष रवानी, पंचायत समिति सदस्य अल्ताफ अंसारी, उत्तम प्रमाणिक, राजेश रविदास, शकील अंसारी, बबलू महतो, संजय मंडल, नंदू दास, शहाबुद्दीन अंसारी, विनोद यादव, मुक्तेश्वर महतो, रंजन मल्लिक, कमाल अंसारी, सुखबीर मंडल, बबलू दास, सुनील मंडल, संजय मंडल, मिथुन कालिंदी, परितोष मंडल, उत्तम मंडल समेत सैकड़ों थे।
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