MP: विधानसभा सत्र आज, CM शिवराज के विश्वास मत से पहले स्पीकर का इस्तीफा


कोरोना वायरस के खौफ के बीच मध्य प्रदेश में सत्ता बदल गई और कांग्रेस के कमलनाथ की जगह भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बन गए. सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सक्रिय हो गए और विधानसभा सत्र बुला लिया. नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद आज मंगलवार से विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है.

इस बीच सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने आधी रात को ही स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया है. विधानसभा उपाध्यक्ष को भेजे अपने इस्तीफे में इसके लिए नैतिकता को आधार बनाया.

शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनते ही विधानसभा सत्र भी शुरू हो रहा है. मंगलवार से शुरू हो रहे सत्र के पहले ही दिन बीजेपी की यह नई सरकार सदन में विश्वास मत पेश करेगी. यह सत्र 27 मार्च तक चलेगा. 4 दिन चलने वाले इस सत्र में कुल 3 बैठकें होंगी.

सत्र के पहले दिन सरकार के प्रति विश्वास मत लाया जाएगा. इस दौरान वित्तीय वर्ष 2020-21 का लेखानुदान भी पेश किया जाएगा. वर्तमान विधानसभा का यह छठा सत्र होगा.

इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने 16 मार्च को कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए 26 मार्च तक के लिए विधानसभा को स्थगित कर दिया था.

रात 9 बजे हुआ शपथ ग्रहण

मध्य प्रदेश में सोमवार रात भारतीय जनता पार्टी ने फिर से सरकार बना ली. मध्य प्रदेश बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना, जिसके बाद शिवराज सिंह ने चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

मध्य प्रदेश में कई दिनों तक चले सियासी घमासान के बाद अब भारतीय जनता पार्टी ने फिर से सरकार बना ली है. राजभवन की ओर से मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के लिए रात 9 बजे का वक्त दिया गया था. शिवराज सिंह चौहान ने रात 9 बजे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

चौथी बार सीएम बने शिवराज

शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की चौथी बार शपथ ली. उन्होंने सीएम पद की शपथ लेने के बाद चौथी बार मध्य प्रदेश की कमान संभाली है. पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद वह 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार सीएम बने. 8 दिसंबर 2013 को उन्होंने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी.

पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार की विदाई हो गई. दरअसल, कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था जिसमें 6 मंत्री भी शामिल थे. स्पीकर ने मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था. इस्तीफे के कारण कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फ्लोर टेस्ट कराने की बजाए सदन को स्थगित कर दिया गया था. कमलनाथ सरकार ने इस्तीफा सौंप दिया.

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