30 फीसदी घट गई हिन्दुओं की आबादी...संभल हिंसा मामले में जांच कमेटी ने सीएम योगी को सौंपी रिपोर्ट


लखनऊ: संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा पर तैयार करीब 450 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है. तीन सदस्यीय समिति ने यह रिपोर्ट तैयार की है. इसमें कई चौंकाने वाली बातें हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि संभल नगरपालिका क्षेत्र में 1947 में 45 फीसदी आबादी थी, जो अब 2025 में 15 फीसदी रह गई है. यानी 30 फीसदी हिन्दू जनसंख्या पिछले 78 सालों में घटी है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संभल आतंकियों का अड्डा बन गया है. यहां आजादी के बाद से 15 दंगे हुए हैं.

24 नवंबर को हुए दंगे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि साजिशकर्ता को ये पता था कि वहां सर्वे होना है. प्रशासन ने संभल जामा मस्जिद के प्रबंधन को बताया था कि वहां सर्वे होना है. संभवतः वहीं से सर्वे की बात लीक हुई और भीड़ जुटी. वहां अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों का अड्डा बन गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें पिछले दंगों की तिथियां, उनमें हुई जनहानि, प्रशासनिक कार्रवाई और उसके बाद की स्थिति का भी पूरा विवरण शामिल किया गया है. 

सूत्रों के हवाले से संभल कमेटी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि 24 नवंबर 2024 की हिंसा पूर्वनियोजित और षड्यंत्र का नतीजा थी. नमाजियों को उकसाने के लिए सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने कहा था कि हम इस देश के मालिक हैं. सांसद ज़िया-उर-रहमान बर्क, विधायक के पुत्र सुहैल इक़बाल और इंतेज़ामिया कमेटी के पदाधिकारी मुख्य भूमिका में थे. आरोप है कि संभल जामा मस्जिदकी इंतेज़ामिया कमेटी ने मिलकर साजिश रची. 

22 नवंबर को नमाजियों को संबोधित करते हुए सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने भड़काऊ भाषण दिया था. उन्होंने कहा था, 'हम पुलिस प्रशासन सरकार से दबने वाले थोड़ी हैं, अरे हम इस देश के मालिक है नौकर, गुलाम नहीं हैं'. मैं खुले रूप से कह रहा हूं कि, मस्जिद थी, मस्जिद है, इंशा-अल्ला मस्जिद रहेगी कयामत तक. जिस तरह अयोध्या में हमारी मस्जिद ले ली गई, वैसा यहाँ नहीं होने देंगे.'

यह रिपोर्ट पहले राज्य कैबिनेट के समक्ष पेश की जाएगी. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद आगामी विधानसभा सत्र के दौरान इसे सदन में रखा जाएगा. माना जा रहा है कि रिपोर्ट में हिंसा के कारणों, प्रशासन की भूमिका, खुफिया तंत्र की नाकामी और भविष्य में ऐसे हालात से निपटने के सुझाव भी शामिल हैं.

तीन सदस्यीय समिति को यह रिपोर्ट तैयार करने का दायित्व हिंसा के तुरंत बाद सौंपा गया था. समिति ने मौके पर जाकर प्रशासनिक अधिकारियों, स्थानीय लोगों और पीड़ित परिवारों से बातचीत की और घटनाक्रम की पूरी पड़ताल की. 

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