India Club: लंदन का 'इंडिया क्लब' 77 साल बाद होगा बंद, भारतीय इतिहास से है गहरा नाता


लंदन: ब्रिटेन की राजधानी लंदन स्थित 'इंडिया क्लब' (India Club) अगले महीने से हमेशा के लिए बंद होने जा रहा है. भारतीय इतिहास के साथ इस क्लब का गहरा नाता रहा है. 

इस क्लब की शुरुआती जड़ें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रवादियों के केंद्र के रूप में थी. 'इंडिया क्लब' एक एतिहासिक बैठक स्थल और भोजनालय है.

इस ऐतिहासिक बैठक स्थल और भोजनालय को बंद किए जाने की घोषणा सोमवार को की गई. इस क्लब को बंद करने के खिलाफ काफी लंबी लड़ाई लड़ी गई, जिसमें समर्थकों की हार के बाद इसे बंद करने की घोषणा हुई. 

इंडिया क्लब एतिहासिक बिल्डिंग लंदन के स्ट्रैंड के मध्य में स्थित है. बिल्डिंग को तोड़कर कर यहां एक आधुनिक होटल के लिए रास्ता बनाया जाएगा. इससे पहले इंडिया क्लब की प्रोपराइटर यादगार मार्कर और उनकी बेटी फिरोजा ने इसके लिए 'सेव इंडिया क्लब' नाम से अपील शुरू की थी.

फिरोजा ने सोमवार को कहा, "बहुत भारी मन से हमें घोषणा करना पड़ा रहा है कि अब सिर्फ 17 सितंबर तक इंडिया क्लब जनता के लिए खुला रहेगा." आपको बता दें कि इंडिया क्लब की जड़ें इंडिया लीग में हैं, जिसने ब्रिटेन में भारतीय स्वतंत्रता के लिए अभियान चलाया था. इसके संस्थापक सदस्यों में कृष्ण मेनन भी शामिल थे - जो यूके में पहले भारतीय उच्चायुक्त बनें.


कृष्ण मेनन सात दशक पहले स्थापित हुए इस इंडिया क्लब के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे. इंग्लैंड के शुरुआती भारतीय रेस्तरां होने की वजह से जल्द ही यह क्लब ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय हो गया, और भारतीय स्वतंत्रता और विभाजन के बाद तेजी से बढ़ते ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय का दूसरा घर बन गया. 

फिरोजा ने कहा कि वे बचपन से अपने पिता के साथ यहां हाथ बंटाती थी. उन्होंने कहा कि वे जब 10 साल की थी, तब से यहां आ रही हैं. क्लब के साथ उनका 26 साल पुराना आत्मियता का रिश्ता है. 

अब इसके बंद करने की घोषणा करना मेरे लिए दिल तोड़ने की तरह है. फिरोजा ने कहा कि उनके पिता ने मेनन के साथ भी काम किया था. सेंटर फॉर माइग्रेशन एंड डायस्पोरा स्टडीज की संस्थापक और अध्यक्ष पार्वती रमन ने बता कि मेनन का मानना था कि हम एक ऐसा क्लब बनाएं कि गरीब भारतीय भी यहां खाना खा सके. चर्चाओं में शामिल हो सके. राजनीति पर चर्चा कर सके. भविष्य की योजना पर काम कर सके. 

इसकी स्थापना 1946 में की गई थी. स्ट्रैंड में भारतीय उच्चायोग के पास स्थित इस रेस्तरां में 26 कमरे हैं. इस इमारत की मालिक कंपनी मार्सटन प्रापर्टीज ने कुछ समय पहले इसे आशिंक रूप से ढहाने की अपील की थी. अगस्त 2018 में उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया गया था. तब इस संस्थान को सांस्कृतिक विरासत के रूप में अहम माना गया.




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