मध्यप्रदेश: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में एक और चीते ने दम तोड़ दिया है. मरने वाली मादा चीता का नाम टिबलिसी है. पार्क अधिकारियों को पिछले 10 दिन से गायब चल रही मादा चीता टिबलिसी का शव बुधवार को मिला है. मार्च महीने से लेकर अब तक कुल 9 चीतों की मौत हो चुकी है. इनमें 3 शावक भी शामिल हैं.
ज्ञात हो कि भारत में चीतों की आबादी बढ़ाने के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीते लाए गए थे. प्रोजेक्ट चीता के तहत देश में चीतों की लुप्त हुई प्रजाति को फिर से जिंदा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन चीतों के इस तरह से मरने पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जाहिर की है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया सुझाव
मध्य प्रदेश वन विभाग ने बुधवार को चीते के मरने की जानकारी दी. मौत का कारण पता करने के लिए चीते का पोस्टमार्टम किया जा रहा है. लगातार हो रही चीतों की मौत की वजह से पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की चारों तरफ आलोचना हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सलाह देते हुए कहा है कि राजनीति से आगे जाकर चीतों को राजस्थान शिफ्ट करने के बारे में सोचना चाहिए. चीतों की मौत को लेकर अब विपक्ष भी बीजेपी पर हमलावर हो गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नामिबिया और अफ्रिका (Africa) से लाए हुए करीब 40 फीसदी चीते मर चुके हैं, और अब तक इन्हें भारत आए एक साल भी नहीं हुआ था. चीतों की मौत का यह सिलसिला 26 मार्च से शुरू हुआ. 26 मार्च को मादा चीता साशा की मौत हो गई. इसकी उम्र चार साल थी.
विशेषज्ञों ने बताया कि साशा की मौत किडनी में इंफेक्शन की वजह से हुई थी. इसके बाद 2 अप्रैल को एक और चीते ने दम तोड़ दिया. तमाम इंतजाम के बाद भी चीतों की मौत लगातार जारी है. इस तरह चीतों के मौत से केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट चीता को करारा झटका लगा है. गौरलतब है कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत खुद पीएम मोदी ने की थी.
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