श्री सीमेंट प्रबंधन का आयकर अधिकारियों को इंतजार


  • श्री सीमेंट प्रबंधन को देना है आयकर अधिकारियों के सवालों के जवाब
  • अगले माह उपस्थिति दर्ज कराने का फिर भेजा सम्मन
  • श्री सीमेंट के आयकर सर्वे में पकड़ी थी 9000 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी

- विमल कोठारी -
जयपुर। देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के पिछले माह समाप्त हुए आयकर सर्वे में मिली गड़बड़ियों का हिसाब पूछने के लिए आयकर अधिकारी कम्पनी प्रबंधन और कम्पनी के ऑडिटर्स का इंतजार कर रहे हैं। इस माह की शुरुआत में आयकर अधिकारियों के समक्ष स्टेटमेंट रिकॉर्ड कराने को उपस्थिति हुए कम्पनी के चेयरमेन हरीमोहन बांगड़ ने कुछ दस्तावेज मांगे जाने पर अधिकारियों से समय मांगा था, लेकिन इस सप्ताह शुक्रवार शाम तक कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारी ना तो उपस्थित हुए और ना ही दस्तावेज भेजे। इसके बाद आयकर अधिकारियों ने श्री सीमेंट प्रबंधन को अगस्त में पेश होने व दस्तावेज जमा कराने के संबंध में सम्मन दिए हैं।

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले सप्ताह आयकर अधिकारियों की ओर से कम्पनी प्रबंधन को स्टेटमेंट रिकॉर्ड कराने व दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए भेजे गए सम्मन के जवाब में कम्पनी की ओर से एक कानूनी सलाहकार पेश हुए और 31 जुलाई को आयकर रिटर्न की समय सीमा होने का उल्लेख करते हुए कम्पनी के ऑडिटर्स के पेश नहीं होने की जानकारी दी। अधिकारियों ने कम्पनी से मांगे गए दस्तावेज के जवाब में उन्होंने कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराए, लेकिन अधूरे होने के कारण इन दस्तावेज को स्वीकार नहीं किया गया तो उन्होंने अगले माह जमा कराने का भरोसा दिया। इसी तरह कम्पनी के ऑडिटर्स के भी अगले माह उपलब्ध रहने की जानकारी दी। कम्पनी की ओर से आग्रह किए जाने पर अब आयकर अधिकारियों ने उन्हें अगस्त के प्रथम सप्ताह में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं।

उल्लेखनीय हैं कि आयकर विभाग की ओर से 21 जून को देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के ब्यावर में दो, नवलगढ़ में एक, पानीपत, कोलकाता और गुरुग्राम स्थित कम्पनी के करीब आधा दर्जन व्यवसायिक ठिकानों पर आयकर कानून की धारा 133-ए में आयकर सर्वे की कार्रवाई की शुरू की, जो करीब एक सप्ताह चली। आयकर सर्वे में विभागीय अधिकारियों ने करीब 9000 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं और इस राशि पर आयकर देय होने के बावजूद नहीं चुकाए जाने का दावा किया है। चूंकि आयकर विभाग ने आयकर सर्वे की कार्रवाई की अत: कम्पनी पर देय आयकर भुगतान की देयता की प्रतिशतता भी आयकर सर्च की कार्रवाई की तुलना में कम है। 

श्री सीमेंट के खिलाफ मिली वित्तीय अनियमितताओं में आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद देश की अन्य एजेंसियां भी सक्रिय है। श्री सीमेंट को सेबी, मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बाद 19 जुलाई 2023 को मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट एफेयर्स-एमसीए ने भी एक नोटिस थमाया है। यह नोटिस में एमसीए ने कम्पनी कानून 2013 की धारा 206 (5) में कम्पनी के रिकॉर्ड के निरीक्षण की बात कही है। श्री सीमेंट पर आयकर विभाग के शिकंजे के बाद अन्य सरकारी एजेंसियों के दवाब का असर कम्पनी के शेयर मूल्यों पर भी नकारात्मक नजर आने लगा है।

बताया जाता है कि श्री सीमेंट ने पिछले दस साल में आयकर (कॉरपोरेट टैक्स) के रूप में सरकार को कोई राशि जमा नहीं कराई, जो भी आयकर का भुगतान किया वह मैट (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) के रूप में किया, जिसका समायोजन एक निश्चित समयावधि में कुछ नियमों की पालना के उपरांत आयकर की देयता पर किया जा सकता है। बताया जाता है कि कम्पनी के खातों में वर्तमान में करीब 2500 करोड़ रुपए की राशि मेट के खाते में जमा है। चूंकि अधिकारियों ने कम्पनी के यहां 9000 करोड़ की राशि पर आयकर देयता का आंकलन किया है, जो 3500 करोड़ रुपए से भी अधिक होगा। 

सूत्र बताते हैं कि कम्पनी की ओर से आयकर छूट के दावों के लिए दस्तावेज में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और सोलिड वैस्ट मैनेजमेंट आदि पर खर्च दिखा कर आयकर कानून में मिलने वाली छूट का दावा भी कर लिया, लेकिन यह सब जमीनी हकीकत में नहीं मिले, ऐसे में इन दावों के खारिज होने और इस आधार पर आयकर वसूली की पूरी संभावनाएं है। यह भी गौरतलब है कि कम्पनी की ओर से आयकर अधिकारियों को उपलब्ध कराए गए दस्तावेज में ही यह प्रमाणित हो रहा है कि कम्पनी ने पावर प्लांट को आयकर कानून में मिलने वाली छूट का बेजा लाभ उठाने के लिए पावर प्लांट के खर्च को भी कम दिखाया और इन प्लांट से अधिक लाभ अर्जित कर भरपूर आयकर छूट ली। इसके लिए श्रमिकों व कर्मचारियों के वेतन तक को समायोजित करने से भी गुरेज नहीं की गई। इसी तरह की वित्तीय गड़बड़ी श्री सीमेंट की सहयोगी इकाई न्यू इण्डिया पावर मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी में भी की गई और आयकर छूट का दुरुपयोग किया गया।

सूत्रों का दावा है कि आयकर सर्वे में मिले दस्तावेज व प्रमाणों के आधार पर अधिकारियों का शिकंजा इतना कड़ा है कि कम्पनी प्रबंधन के पास कहने को कुछ नहीं और पिछले कई सालों से आयकर नहीं चुकाने की आदत के चलते अब देय आयकर चुकाने की हिम्मत भी नहीं। अब कम्पनी प्रबंधन आयकर सर्वे के इस मामले ठण्डा होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि अधिकारियों का दावा है कि ठोस प्रमाणों के कारण कम्पनी प्रबंधन के पास ब्याज सहित बकाया आयकर चुकाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं है।

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