नेपाल के पीएम प्रचंड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर, 5,000 हत्याओं की ली थी जिम्मेदारी


नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक रिट याचिका दायर हुई. दरअसल, जिसमें दशक भर चले विद्रोह के दौरान पांच हजार लोगों की मौत की जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए उनकी गिरफ्तारी के साथ-साथ जांच का आदेश दिए जाने की मांग की गई.

सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक, अधिवक्ता ज्ञानेंद्र अरन और माओवादी उग्रवाद के अन्य पीड़ितों द्वारा मंगलवार को याचिका दायर की गई. अधिवक्ता ज्ञानेंद्र आरान और कल्याण बुढाठोकी ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग रिट याचिकाएं दायर कीं, जिसमें मांग की गई कि प्रचंड के बयान की जांच की जाए और उन पर मुकदमा चलाया जाए. ये दोनों उस दौर की हिंसा के भुक्तभोगी रहे हैं.

सीपीएन (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष 'प्रचंड' ने 15 जनवरी, 2020 को कहा था कि दशक तक जिस माओवादी पार्टी ने माओवादी आंदोलन चलाया, उसका नेता होने के नाते वह 5000 मौतों की जिम्मेदारी लेंगे और सरकार को बाकी मौतों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. प्रचंड ने माघा उत्सव को संबोधित करते हुए कहा था कि मुझपर 17,000 लोगों की मौत का आरोप लगा है, जो सच नहीं है. लेकिन मैं संघर्ष के दौरान 5,000 लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं. उन्होंने कहा था कि शेष 12,000 हत्याओं की जिम्मेदारी सामंती सरकार ले.

उन्होंने कहा था कि वह इससे भाग नहीं रहे हैं, लेकिन लोग उनपर उस काम के लिए आरोप नहीं लगाएं जो उन्होंने किया ही नहीं है. बता दें कि प्रचंड ने 'जनयुद्ध' के नाम पर एक दशक तक सशस्त्र संघर्ष चलाया था. इसी बीच मंगलवार को हुई माओवादी नेताओं की एक बैठक में तीन बिंदुओं पर फैसला हुआ, जिसमें विरोध और शांति समझौते के खिलाफ किसी भी गतिविधि का मुकाबला करना शामिल है.

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