चीन और पाकिस्तान की क्षेत्रीय अस्थिरता बनाए रखने की साजिशों के चलते भारतीय सुरक्षा बलों को जमीनी और समुद्री सीमाओं पर पूरे साल सतर्क रहना पड़ रहा है। भारतीय सेनाएं इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही हैं। यह बात सुरक्षा बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कही है।
आल इंडिया रेडियो पर सरदार पटेल स्मृति व्याख्यानमाला में जनरल रावत बोल रहे थे। कहा, दूरदर्शी सरदार पटेल ने समय रहते भारत और चीन के बीच स्वतंत्र तिब्बत की जरूरत समझ ली थी। दो बड़े देशों के बीच तिब्बत बफर स्टेट के रूप में होता। इस आशय का सुझाव उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी दिया था। लेकिन उनके इस सुझाव को महत्व नहीं मिल सका। सुरक्षा बलों के महत्व को भी कम करके आंका गया।
जनरल रावत ने कहा, जब सुरक्षा बलों की अनदेखी होती है तो उसका फायदा बाहरी ताकतें उठाती हैं। इसी का नतीजा 1962 में देश पर हुआ चीन का हमला था। 1962 के बाद भी चीन ने कई बार भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की। जब-जब सेना को सरकार का मजबूत समर्थन मिला, तब-तब चीन को पीछे धकेल दिया गया। भारतीय सेनाएं देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर समय तैयार हैं। जनरल रावत ने इस दौरान पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेनाओं की तैनाती का भी जिक्र किया। कहा कि भारी हथियारों के साथ हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा में लगे हुए हैं।
नौसेना ने शुक्रवार को दो एडवांस लाइट हेलीकाप्टर (एएलएच) एमके 3 को अपने 321 फ्लाइट में शामिल कर लिया। ये हेलीकाप्टर मुंबई में हेलीकाप्टर बेस आइएनएस शिकरा में शामिल किए गए। नौसेना के अनुसार, वर्तमान में 321 फ्लाइट में चेतक हेलीकाप्टर शामिल हैं। इन्हें अधिक सक्षम और सक्षम एएलएच एमके 3 हेलीकाप्टरों से बदला जाएगा। एएलएच 3 हेलीकाप्टर अत्याधुनिक निगरानी, संचार, सुरक्षा आदि उपकरणों से लैस हैं। इससे नौसेना की समुद्र के साथ ही तटीय क्षेत्र में भी ताकत बढ़ जाएगी।पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग अधिकारी कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार शामिल किए जाने के लिए आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि थे। समारोह में हेलीकाप्टर को पारंपरिक वाटर कैनन की सलामी दी गई।
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