बंगाल: 'सड़क' को लेकर जंग, ममता सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे विश्व भारती के VC


पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध विश्व भारती विश्व विद्यालय में इन दिनों धरने-प्रदर्शन का दौर चल रहा है. शनिवार को यहां तीन धरने एक साथ हुए. एक धरने का नेतृत्व विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती खुद रहे थे. जबकि दूसरा धरना वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई की ओर से आयोजित किया गया था, तीसरा धरना आस-पड़ोस के व्यापारियों ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ ही आयोजित किया था. 

विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती का धरना पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ था. वीसी  प्रोफेसर विद्युत चक्रवर्ती ममता बनर्जी से विश्वविद्यालय के दो कैंपस को आपस में जोड़ने वाली सड़क को राज्य सरकार से वापस मांग रहे हैं. इस सड़क का नियंत्रण पहले विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास ही था, लेकिन 1 जनवरी को राज्य सरकार ने इसे अपने कब्जे में ले लिया. 

वाइस चांसलर शनिवार को कई घंटे छट्टीमताला के पास धरने पर बैठे रहे. उनके साथ कई प्रोफेसर, छात्र-छात्राएं और गैर शैक्षणिक कर्मचारी भी थे. इनकी मांग है कि विश्वविद्यालय के दो कैंपस को जोड़ने वाली सड़क का नियंत्रण विश्वविद्यालय प्रशासन को वापस दिया जाए. 

2.9 किलोमीटर की ये सड़क विश्व भारती के शांति निकेतन कैंपस को श्रीनिकतेन से जोड़ती है. आस-पास के कुछ लोगों ने सीएम ममता बनर्जी से शिकायत की थी कि विश्वविद्यालय प्रशासन स्थानीय लोगों को इस सड़क का इस्तेमाल करने से रोक रहा है, इसके बाद 1 जनवरी से पश्चिम बंगाल सरकार ने इस सड़क का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया. विश्वविद्यालय प्रशासन अब इस फैसले का विरोध कर रहा है.  

2017 में राज्य सरकार ने इस सड़क को विश्वविद्यालय प्रबंधन को सौंप दिया था ताकि इस सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही से यहां मौजूद धरोहरों को नुकसान न पहुंचे. 

विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगौर ने 100 साल पहले दिसंबर 1921 में की थी. 

SFI का प्रदर्शन

यूनिवर्सिटी कैंपस में दूसरा प्रदर्शन वामपंथी छात्र संगठन SFI का था. SFI अर्थशास्त्र के प्रोफेसर सुदीप्ता भट्टाचार्य के निलंबन का विरोध कर रही है. बता दें कि प्रोफेसर सुदीप्ता भट्टाचार्य को विश्व भारती विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में निलंबित कर दिया है. 

सुदीप्ता भट्टाचार्य ने एक सहकर्मी की नियुक्ति में अनियमितता का आरोप लगाने और इसकी शिकायत राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से की. विश्वविद्यालय ने बताया कि प्रोफेसर ने अपने आरोप में सहकर्मी के लिए कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी भी की थी. 

व्यापारियों का प्रदर्शन

स्थानीय व्यापारियों ने शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. ये व्यापारी पिछले साल पौष मेला आयोजित कराने के एवज में जमा राशि की वापसी की मांग कर रहे हैं. पिछले साल इन व्यापारियों से पैसा तो लिया गया था, लेकिन मेला आयोजित नहीं किया जा सका था. 

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