हावड़ा में एलियन रूप वाले बच्चे ने लिया जन्म, माँ- बेटा दोनो स्वस्थ


युवा शक्ति संवाददाता
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हावड़ा : इस सृष्टि के विधाता के विधान भी निराले है, कभी- कभी उनकी माया में अजीबोगरीब तमाशे देखने को मिलते है। शिवपुर थानांतर्गत राज्य सचिवालय के नजदीक एक नर्सिंग होम में ऐसी ही एक घटना ने भगवान के भक्तों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस नर्सिंग होम में विकृत चेहरेवाले एक बच्चे ने जन्म लिया। देखने में बिल्कुल एलियन जैसा लगता है। बच्चे की चमड़ी की बाहरी परत यानी स्ट्रेटम कॉर्नियम मोटी है। बच्चे के शरीर की चमड़ी मोटी सफेद प्लेटों में बंट गई है, जिसमें कई गहरी दरारें हैं। शरीर की चमड़ी ने एक कवच का रूप ले लिया है। दोनों आंखे गायब है उसकी जगह मांस का लोथड़ा दिखाई दे रहा है। दूर से देखने में ऐसा लगता है मानों उसके शरीर पर किसी ने सफेद पट्टी मांध दी हो। उक्त नर्सिंग होम में अजीबोगरीब चेहरेवाले बच्चे के जन्म की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। घटना 14 जुलाई की है।

नर्सिंग होम सूत्रों के अनुसार शिवपुर थाना अंतर्गत ट्राम डिपो की रहने वाली एक गर्भवती महिला को कुछ दिनों से पेट में दर्द था। नजदीक के एक डॉक्टर नुजा बी कमाल से परामर्श लेने पहुंची। डॉक्टर ने पहले तो कुछ जांच करने के लिए कहा जिसमें कुछ संदिग्ध समझ में आया। इसके बाद महिला को नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। महिला  चिकित्सक डॉ. नुजा बी कमाल ने परिवार वालों से कहा कि बच्चे को बचाना काफी मुश्किल लग रहा है लेकिन कोशिश रहेगी कि दोनों को ही बचाया जा सके। नर्सिंग होम में ऑपरेशन के द्वारा बच्चे को मां के गर्भ से बाहर निकाला गया। बाहर निकलते ही बच्चे की आकृति देखकर ऑपरेशन थिएटर में मौजूद सभी लोग आश्चर्यचकित रह गये। अविकसित व विकृत रूप के बच्चे को देख डॉक्टर भी कुछ देर के लिए परेशान थे पर समझते देर नहीं लगी कि यह जेनेटिक प्रॉब्लम के कारण अविकसित रूप से बच्चे का जन्म हुआ है।
डॉक्टर नुजा बी कमाल ने बताया कि शायद बंगाल में यह पहली घटना है कि इस तरह के विकृत रूप के बच्चे ने जन्म लिया है। उन्होंने बताया कि मां- बाप के जेनेटिक प्रॉब्लम के कारण इस तरह के बच्चे का जन्म होना हो सकता है। वहीं डॉक्टर ने काफी नजदीक रिश्ते में शादी होना भी इसका एक मुख्य कारण मानती है और लोगों से इस तरह की शादियों से बचने की सलाह दे रही है।

उन्होंने बताया कि बच्चे को बचा पाना काफी मुश्किल भरा काम था। बच्चे के शरीर के ऊपर सफेद रंग की परत थी। वहीं नाक ,मुंह ,कान , आंख, हाथ और पैर भी ठीक ढंग से विकसित नहीं हुए थे जिस कारण बच्चा देखने में डरावना लग रहा था। जबकि बच्चे में जान थी। बच्चा आज भी जिंदा है, मां भी स्वस्थ है। डॉक्टर का कहना है कि परिवार वाले पहले तो इसे लेना मंजूर नहीं कर रहे थे लेकिन बाद में बच्चे को अपनाने के लिए राजी हुए। उन्हें सलाह दी गई है कि कोलकाता के चितरंजन मेडिकल कॉलेज या नीलरतन कालेज अस्पताल में ले जाकर इस बच्चे की चिकित्सा कराई जाए, तो हो सकता है कि बच्चे को बचाया जा सके। अभी तक इस पर कोई सटीक रिसर्च सामने नहीं आने के कारण कुछ भी स्पष्ट रूप से कहना मुश्किल है।

इससे पहले देश- विदेश के साथ ही पटना, मुंबई, दिल्ली आदि शहरों में इस तरह के बच्चे ने जन्म लिया है। डॉक्टर के मुताबिक बच्चे को ''हैरेलक्विन इचथियसिस'' बीमारी है, जिस कारण वो आम नवजात बच्चों से अलग दिख रहा है। सबसे बड़ी बात है कि ममता का कोई मूल्य नहीं होता। इसलिए एक माँ अपने इस बेटे को अपने ममता रूपी छांव में पाल रही है।

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