बुजुर्ग की मौत; परिजन ने निजी अस्पताल पर कोरोना के संदेह पर भर्ती नहीं करने का आरोप लगाया


कोलकाता : कोलकाता के एक निजी अस्पताल की कथित लापरवाही के कारण बिहार के 76 वर्षीय एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई, जिन्हें बुढापे संबंधी कई बीमारियां थीं। अस्पताल ने मरीज के कोविड​​-19 से संक्रमित होने की आशंका को लेकर भर्ती करने से इनकार कर दिया था। मरीज के परिजन ने बुधवार को यह आरोप लगाया। मरीज के दामाद मुख्तार आलम ने पीटीआई-भाषा को बताया कि दरभंगा के रहने वाले शाहिद अहमद याहिया को उनका इलाज करने वाले डॉक्टर की सिफारिश पर अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल में भर्ती करने के लिए नौ मई को कोलकाता लाया गया था। याहिया पार्किन्सन रोग से पीड़ित थे, जो कोलकाता स्थित एक चिकित्सक के संपर्क में थे।

 कोलकाता निवासी आलम ने बताया कि डॉक्टर ने दरभंगा के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती याहिया को बेहतर इलाज के लिए यहां लाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा, ‘‘प्रशासन से आवश्यक पास प्राप्त करने के बाद हम एक आईसीयू एम्बुलेंस में दरभंगा से आए और सीधे उन्हें अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल ले गए।’’ आलम ने कहा, ‘‘डॉक्टरों ने हमें कुछ घंटों तक इंतजार कराया और फिर उनकी कुछ जांच की गई, जिस दौरान मेरे ससुर अस्पताल के गलियारे में स्ट्रेचर पर लेटे हुए थे।’’ उसने बताया कि एक डॉक्टर ने अचानक कहा कि उनके कोविड-19 से संक्रमित होने की आशंका है और उन्हें एमआर बांगुर अस्पताल या किसी अन्य सरकारी अस्पताल में ले जाना चाहिए जो कोरोना वायरस के मामलों का इलाज कर रहा है। आलम ने कहा, ‘‘मेरे ससुर को संक्रमण का कोई लक्षण नहीं था। मुझे नहीं पता कि अपोलो में डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार क्यों किया। उन्होंने उन्हें कोविड-19 का संदिग्ध बताया और उन्हें कोरोना वायरस रोगियों का इलाज करने वाले एक सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया।’’ 

याहिया के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उनकी हालत बहुत गंभीर थी, लेकिन उनके इलाज के बजाय, अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल के डॉक्टरों ने बहुत अधिक महत्वपूर्ण समय बर्बाद किया। हालांकि, इस आरोप से अस्पताल के अधिकारियों ने इनकार कर दिया। अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि हर मरीज की जांच कोविड-19 के लिए की जा रही है और अगर मरीज को संदिग्ध पाया जाता है तो भर्ती से पहले इसकी पुष्टि के लिए जांच आवश्यक हो जाता है। याहिया को फिर ईएम बाईपास से दूसरे निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां भी उन्हें भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद, उन्हें सरकारी एमआर बांगुर अस्पताल ले जाया गया। 

आलम ने कहा, ‘‘उन्हें 9 मई को एमआर बांगुर अस्पताल के पृथक वार्ड में भर्ती कराया गया था और 11 मई को तड़के करीब 4.15 बजे उनकी मृत्यु हो गई।’’ याहिया को कोविड-19 जांच में संक्रमित नहीं पाया गया था। आलम ने कहा, ‘‘हम न्याय चाहते हैं और डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कदम उठाएंगे जिन्होंने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया था।’’

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