आकाशीय पिंड के रुप में घूमने वाले चमत्कारी ग्रह सदा से अपना प्रभुत्व दिखाते आए हैं। कहा जाता है कि ईश्वर की कृपा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। यह अकाट्य सत्य है। इतिहास साक्षी है जब जब ग्रहों की दशा की दिशा बदलती है, सम्पूर्ण विश्व पर उसका प्रभाव पड़ता ही पड़ता है। उसमें से भी कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जिनका आना अथवा जाना दोनों ही किसी किसी राशि पर अविस्मरणीय प्रभाव डालता है वो प्रभाव शुभकारी भी होता है और अशुभकारी भी। इस वर्ष 2020 के फरवरी में 17 तारीख को शनि मकर राशि पर आने से कोरोना जैसी घातक बीमारी की शुरुआत हुई। ग्रहों का फल उनके आने की तिथि से ही ज्ञात नहीं किया जा सकता। उनके आने के पहले से शुभ या अशुभ होने का संकेत प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रुप से दिखने लगता है। जुलाई 2019 में चंद्रग्रहण लगा था। उसके उपरांत ही चीन में कोरोना के पनपने की शुरुआत हो गई थी। यह ग्रहण चीन, आस्ट्रेलिया के कुछ भागों, भारत तथा दक्षिणी अमेरिका में परिलक्षित हुआ था। 2019 साल के दिसम्बर 26 तारीख को सूर्य ग्रहण लगा था। शनि क्रूर ग्रह है औऱ यह ढाई वर्ष के लिए किसी राशि पर आता है। इस बार मकर राशि पर शनि का आगमन होने तथा देवगुरु वृहस्पति के साथ एक ही राशि पर साथ-साथ होने से यह दुष्कर परिणाम जगत को भोगना पड़ रहा है। इस वर्ष वृहस्पति अतिचार हुए जिसके कारण शनि का भी मकर राशि पर आना जनहित में परेशानी का कारण बना।
इस वर्ष वृहस्पति और शनि का समागम एक ही राशि पर होने से कोरोना का कहर इस पूरे वर्ष तक कायम रहेगा। हिन्दी संवत् 2077 प्रमादी नामक यह संवत में कोरोना का कहर जारी रहेगा। वैसे तो देशभर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 21 दिनों के लिए लाकडाउन घोषित किया है परन्तु यह कई भाग में बढ़ता चला जाएगा। शनि का प्रकोप इस वर्ष अत्यंत प्रलयंकारी है। जुलाई 2020 तक विश्व असामान्य स्थिति में ही सांस लेगा। रोगियों की संख्या बढ़ती ही रहेगी। महामारी का यह आक्रामक रुप 8 अगस्त 2020 तक अधिक प्रभावी रहेगा।
संयोगवश 21 जून 2020 को “विश्व योग दिवस”( International Yoga Day) के दिन ही इस वर्ष सूर्य ग्रहण होगा। यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि पर लगेगा। यह ग्रहण उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र में कंकणाकीर्ति के रुप में दिखाई देगा। उत्तर भारत, उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व, चमोली, देहरादून, जोशीमठ, सिरसा, सूरत, के अलावा चीन, पाकिस्तान, सेंट्रल अफ्रीका, दक्षिण- पूर्व यूरोप और इंडोनेशिया में दिखाई देगा। एक रिंग के समान आकृति जन सुमदाय देख सकेगा। 21 जून के दिन होने वाले इस ग्रहण का प्रभाव विश्व पर आंशिक अनुकूल प्रभाव दिखाई देगा। भारत में कोरोना महामारी का प्रभाव 18-19 जुलाई से कम होना प्रारम्भ होगा। जन सामान्य अपने कार्यों की ओर अग्रसर होने लगेगा। परन्तु, परिस्थिति अधिक दिनों तक सामान्य नहीं रहेगी। 8 नवम्बर 2020 को देवगुरु वृहस्पति मकर राशि में पुन: प्रवेश करेंगें, तब भारत एवं विश्व के लिए कष्टदायी स्थिति बनेगी। कोरोना महामारी रोग एक बार फिर आक्रमक हो सकता है। सितम्बर माह में एक बार ऐसी स्थिति बनेगी मानो परिस्थितियां सामान्य हो रही है लेकिन वास्तविकता इससे प्रतिकूल रहेगी। दुर्गापूजा एवं दीपावली के आसपास से स्थिति कुछ सामान्य होने लगेगी। वैश्विक घातककारी संक्रमण को पूर्णतया मिटने में 2021 फरवरी तक का समय लग जाएगा। उसके बाद देश की आर्थिक एवं सामाजिक जिंदगी पटरी पर आ सकेगी।
अत : 2021 की होली के उपरांत सबकुछ वित्तीय अवस्था पटरी पर आ सकेगी। वैसे इस कठिन परिस्थिति के बाद भी देश की आर्थिक व्यवस्था पर कोई आंच नहीं आएगी और प्रधानमंत्री मोदी के 5 ट्रिलियन की इकोनामी बनाने का सपना अपनी गति से बढ़ता रहेगा। देश की आर्थिक, सामाजिक व्यवस्था को प्रधानमंत्री मोदी जी सुदृढ़ बनाने की दिशा में अग्रसर होते रहेंगें।
.