शहरों से लौटे बेघर मजदूर पेड़ों पर क्वारेंटाइन होने को मजबूर




युवाशक्ति टीम
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कोलकाता :  तेजी से फैलते जा रहे कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन के बीच पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से एक हृदय विदारक तस्वीर सामने आई है। यहां कुछ दिन पहले चेन्नई से लौटे मजदूर क्वारेंटाइन मतलब एकांतवास के लिए अलग कमरा नहीं होने के कारण पेड़ों पर रहने को मजबूर हैं। गांव वाले इन्हें खाने के लिए थाली में भोजन पेड़ के नीचे रख जाते हैं और ये पेड़ों से उतरकर खाना लेकर फिर बंदरों की तरह ऊपर चढ़कर जीवन गुजार रहे हैं। 

संक्रमण के खतरे को देखते हुए देश में 14 मार्च तक लॉक डाउन लागू है। इस वजह से शहरों में काम कर रह रहे मजदूर अपने गांव वापस लौट रहे हैं। गांव लौटने वाले लोगों को सावधानी के तौर पर 14 दिन क्वारंटाइन रहने की सलाह दी जा रही है। पुरुलिया जिले में चेन्नई से लौटे कुछ लोगों ने अपने आपको पेड़ पर क्वारेंटाइन किया है। दरअसल इन लोगों के घरों में सेल्फ आइसोलेशन के लिए अलग से कमरे नहीं हैं इसलिए उन्हें ऐसा करना पड़ा है। जंगलों में इन लोगों ने पेड़ों पर अपनी चारपाई बांध ली है और वही जीवन गुजार रहे हैं। ऐसा करके ये अपनी रक्षा भी कर रहे हैं और गांव वालों को भी कोरोना के खतरे से बचा रहे हैं। चेन्नई से लौटने के बाद गांव में जाने से पहले इन्होंने हेल्थ सेंटर में अपनी जांच कराई है। डॉक्टरों ने 14 दिनों तक होम क्वारेंटाइन में रहने की सलाह दी है।

इन मजदूरों का कहना है कि इनका घर उन क्षेत्रों में है जहां जंगलों में बड़ी संख्या में हाथी रहते हैं। कई बार हाथियों ने गांव में हमले किए हैं। ऐसे में पेड़ों पर चारपाई बांधकर सोना इनके लिए थोड़ी राहत देने वाला है। इससे वे जानवरों से भी बच रहे हैं और दूसरे लोगों को कोरोना के खतरे से भी बचा रहे हैं। मजदूरों के परिवार वालों और गांव के लोग मिलजुल कर इनके खाने की व्यवस्था में लगे हैं।
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