परिवार वालों ने जिसे मृत समझकर तेरहवीं कर दी गई थी, उसे कुछ मददगारों ने इंटरनेट की मदद से घर तक पहुंचा दिया. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के ग्राम काठियाबंधान से 12 वर्ष पूर्व लापता मानसिक रूप से परेशान भीम सिंह पुत्र खुसरिया (30) राजस्थान के एक किसान की मदद से घर पहुंचा.
भटकते हुए राजस्थान जा पहुंचा
भाई मदन ने बताया कि भीमसिंह झिरन्या हाट बाजार से गुम हो गया था. उसके बाद भटकते हुए वह राजस्थान जा पहुंचा. कोटा जिले के छोटे से गांव मामोर निवासी किसान बृजमोहन मीणा ने उसे कई वर्ष तक बेटे की तरह साथ रखा. फिल्म बजरंगी भाईजान के कथानक से मेल खाती घटना के नायक किसान बृजमोहन ने बताया कि उन्होंने आठ वर्ष तक भीम को बेटे की तरह रखा.
बेटे के फोटो से हुई पहचान
एक दिन आदिवासी भाषा के गीत में उसने झिरन्या हाट और अपने गांव के नाम का उल्लेख किया. इस आदिवासी बोली से ही उन्हें उम्मीद बंधी. उन्होंने इंटरनेट पर सर्च करवाकर स्थानीय सीईओ महेंद्रकुमार श्रीवास्तव को दूरभाष पर सूचना दी. उसका फोटो भी भेजा. श्रीवास्तव ने भीमसिंह के गांव जाकर उसके माता-पिता व परिजन से मुलाकात की. उन्होंने बेटे का फोटो पहचान लिया. इसके बाद बड़ा भाई मदन, हमीर वास्कले, लक्ष्मण गटू और दो पंचायत सचिव लालू पवार व कमल खांडे राजस्थान से भीम को लेकर आए.
मीणा को किया सम्मानित
ग्राम पंचायत सरपंच गोरेलाल वास्कले ने मीणा को आमंत्रित कर सम्मानित किया. भीम सिंह की मां जानूबाई (60) ने बताया कि इतने वर्ष बेटे के बिना उन्होंने कोई त्योहार नहीं मनाया. पिता खुसरिया (65) का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे को ढूंढने के लिए एक दर्जन से अधिक बकरे-बकरियों को बेच दिया था, मगर सफलता नहीं मिली.