धुलागढ़ : दंगाई लगा रहे थे पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा, पुलिस ने हिंदूओं से कहा था - दो मिनट में घर से भाग जाओ!




घरों को जलाने से पहले लूट ले गये थे सबकुछ
ओम प्रकाश सिंह
कोलकाता: भरी दोपहर के बीच हजारों की संख्या में उपद्रवी भीड़ पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हुये लोगों को घरों से खींचकर  पीट रही थी. कहीं लड़कियां बचने के लिए भाग रही थीं तो कहीं घर के बुजुर्ग अपनी जान बचाने के लिए छुप रहे थे. मोहम्मद (नबी) जयंति के बाद नारे-तकदीर-अल्लाह-हो- अकबर की गूंज के साथ लोगों के घरों में आग लगायी जा रही थी. महिलाएं बच्चों को गोद में समेटे अपनी इज्जत बचाते हुए इधर से उधर दौड़ रही थीं तो बच्चे रोते बिलखते अपने जलते घरों में छटपटा रहे थे. डरे-सहमें लोगों ने जब पुलिस को देखकर उनसे मदद की गुहार लगायी तो उनकी जान बचाने के वजाय पुलिस ने कहा था - दो  मिनट में यहां से भाग जाओ.
इसे पढ़कर शायद आप सोच रहे होंगे कि ये नजारा बंग्लादेश या पाकिस्तान अथवा कश्मीर घाटी का होगा जहां आतंकियों का बेलगाम समूह सरकारी सह पर वहां के गैर इस्लामी लोगों को पलायन करने को मजबूर कर रहे होंगे. लेकिन आपका अंदाजा बिल्कुल गलत है. यह नजारा पाकिस्तान, बंग्लादेश या कशमीर का नहीं है बल्कि देश की आजादी में अनगिनत क्रांतिकारियों की शहादत देने वाले बंगाल का है. उसी बंगाल का जहां से विवेकानंद ने पूरे विश्‍व को एकता का पाठ पढ़ाया था. उसी बंगाल का जहां बंटवारे के वक्त गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने राखी बांध-बांध कर मुस्लिमों को पाकिस्तान जाने से रोका था. उसी बंगाल का जहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी २००२ के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों को लेकर तो काफी क्रांतिकारी भाषण देती हैं, पर धुलागढ़ के किसी भी दंगाई को गिरफ्तार करने के वजाय उल्टे उन पत्रकारों पर केस दर्ज कर चुकी हैं जिन्होंने वहां के इसदृश्यके कुछ हिस्से मात्र को लोगों के सामने लाने की कोशिश की है.  
 बंगाल के हावड़ा के पास स्थित धुलागढ़ में दंगा हुए दो हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन लोगों में भय अब भी बना हुआ है. हिंसक भीड़ के हमलों से सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं और अब भी अपने घरों में लौटने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं. राज्य सरकार के सचिवालय से महज २० किमी की दूरी पर स्थित इस छोटे-से कस्बे में आज हर तरफ जले और टूटे हुए घर दिख रहे हैं. तमाम लोग यह इलाका छोड़कर भाग चुके हैं. धुलागढ़ दंगों पर जमकर राजनीति हो रही है, लेकिन इस उन्मादी हिंसा में सबकुछ गंवा देने वालों की मदद के बारे में कोई नहीं सोच रहा.
रामपद मन्ना और उनकी पत्नी सीमा उन कुछ लोगों में से हैं, जो किसी तरह हिम्मत जुटाकर अपने घर वापस आ गए हैं. सीमा बेसब्री से यह देखने में लगी हैं कि उनके घर में कुछ बचा भी है या नहीं. रामपद बताते हैं, ’अब हम यहां नहीं रह सकते, इसलिए हमने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है. उस दिन पुलिस आई तो थी, लेकिन जब हमारे ऊपर हमला हुआ, तो पुलिस भी भाग खड़ी हुई. तीन सदस्यों के परिवार का पेट पालने वाले मन्ना नाई हैं. दंगे के दिन हिंसक भीड़ ने उनके गेट को तोड़ दिया और घर को तहस-नहस कर दिया. सीमा ने कहा, ’हम बहुत गरीब हैं. हमने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए बड़ी मुश्किल से एक लैपटॉप खरीदा था, जिसे दंगाई उठा ले गए. यही नही, उन्होंने हमारे ६५,००० रुपये भी लूट लिए जो हमने एलआईसी में जमा करने के लिए रखे थे.
माध्यमिक के छात्र की सारी किताबें जला दी
बनर्जी पाड़ा में स्थित मन्ना के घर के बगल में ही मंडल परिवार रहता है. दो बच्चों की मां मैत्री मंडल कहती हैं कि पाकिस्तान जिंदाबादके नारे लगाते हुए हिंसक भीड़ उनके बेडरूम में आ गई और उनका मकान जला दिया. उन्होंने रोते हुए कहा, ’ मेरा बेटे को इस फरवरी में बोर्ड का एग्जाम देना है, लेकिन उन्होंने सब कुछ तबाह कर दिया. उसकी सभी किताबें जलकर नष्ट हो गई हैं. मेरा बेटा तबसे सदमे में है.
मैत्री ने बताया, ’पांच घंटे तक वे (दंगाई) उपद्रव करते रहे और पुलिस तब आई जब हमारा सबकुछ नष्ट हो चुका था. एक भी मंत्री हमारा हाल जानने नहीं आया.राजनीति तो सभी कर रहे हैं, लेकिन दंगापीड़ितों की मदद के लिए कोई सामने नहीं आ रहा. राज्य सरकार ने पीड़ितों के लिए महज ३५,००० रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है, लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह बेहद कम है. दंगे के बाद से धुलागढ़ में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल तैनात हैं और लोगों की आवाजाही पर अंकुश लगाया गया है. अभी कोई नहीं बता पा रहा है कि १२ दिसंबर को मुस्लिमों का त्योहार ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाए जाने के बाद आखरि दंगों की शुरुआत कैसे हुई, लेकिन दंगा रोकने में पुलिस की नाकामी को लेकर हर तरफ आक्रोश है.

दिलीप खन्ना को जब यह पता चला कि दंगाई गांव के करीब पहुंच गए हैं तो उन्होंने खुद को एक कमरे के अंदर बंद कर लिया. उन्होंने बताया, ’जब पुलिस आई, तो उसने हम सबसे कहा कि दो मिनट में घर छोड़कर निकल जाओ ! वे तो दंगाइयों को हमारे घर तहस-नहस करने से भी नहीं रोक पाए. दंगाई मकान लूटते और जलाते रहे, जबकि पुलिस खड़े होकर तमाशा देखती रही.उनकी ३२ वर्षीय पड़ोसी शुभ्रा भी अपनी जान बचाने के लिए घर से भाग गई थीं. दंगाइयों ने उनके घर का एक हिस्सा जला दिया है, जिससे उन्हें एक मंदिर में शरण लेनी पड़ी है. उन्होंने बताया, ’उनके हाथ में पेट्रोल और केरोसीन के ड्रम थे और वे पूरी तरह से तैयार होकर आए थे. हमारे जेवरात और पैसे लूटने के बाद उन्होंने सबकुछ जलाकर खाक कर दिया. अब हम कहां जाएं.
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