नई दिल्ली : मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को सजा दिलाने के मुद्दे पर वर्षों से टाल मटोल कर रही पाकिस्तान सरकार की पोल खुद उसके पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) महमूद अली दुर्रानी ने खोल दी है। दुर्रानी ने कहा है कि मुंबई हमले को पाक के आतंकी संगठनों ने अंजाम दिया और यह सीमा पार आतंकवाद का शानदार उदाहरण है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस हमले में पाकिस्तान सरकार या आइएसआइ की कोई भूमिका नहीं थी।
सोमवार को 19वें एशियन रक्षा कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दुर्रानी का यह बयान नया तो नहीं है, लेकिन इससे भारत से सुबूत मांग रहे पाकिस्तान की पोल खुल गई है। दुर्रानी की बात में इसलिए भी दम है कि वर्ष 2008 में जब आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया तो वे पाकिस्तान के एनएसए थे। उन्होंने 2009 में भी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के मुंबई हमले में शामिल होने की बात कही थी। इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था।
इस बारे में विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि दुर्रानी ने वही कहा है, जो भारत लगातार कहता रहा है। पाक के आतंकी संगठनों की साजिश, उन्हें फंड की व्यवस्था किस तरह से की गई, हमलावरों का चयन किस तरह किया गया, इन सबके बारे में साक्ष्य इस्लामाबाद को दिए जा चुके हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर 2015 में इस्लामाबाद में हुई बैठक के दौरान अंतिम बार मुंबई हमले के दोषियों को सजा दिलाने पर बात हुई थी। तब पाकिस्तान ने नए सिरे से दोषी आतंकियों के आवाज के नमूने मांगे थे। भारत ने इसे मामले को लटकाने वाला करार दिया था।
दुर्रानी ने और भी कई ऐसी बातें कही हैं, जो पाकिस्तान को नागवार गुजरेंगी। उन्होंने कहा कि हर देश को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के खिलाफ न हो। इसी तरह से हाफिज सईद के बारे में उन्होंने कहा कि उसकी कोई जरूरत नहीं है। पाक सरकार को उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।