कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत होने वाली सुनवाई बैठकों को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने माइक्रो ऑब्जर्वरों को अहम निर्देश दिए हैं। आयोग ने कहा है कि सुनवाई के दौरान मतदाताओं की जन्मतिथि से जुड़े किसी भी तरह के अंतर पर विशेष सतर्कता बरती जाए।
बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के एक अधिकारी के अनुसार माइक्रो ऑब्जर्वरों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में साफ निर्देश दिए गए। उन्हें बताया गया है कि सुनवाई के दौरान आयोग के रिकॉर्ड में दर्ज जन्मतिथि और मतदाताओं द्वारा प्रस्तुत पहचान पत्रों में दर्ज जन्मतिथि में अंतर सामने आ सकता है।
सूत्रों ने बताया कि अगर ऐसे मामलों का पता चलता है, तो माइक्रो ऑब्जर्वरों की जिम्मेदारी होगी कि वे इन गड़बड़ियों को नोट करें और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट करें। इसके बाद सुनवाई प्रक्रिया पूरी होने पर इन मामलों की अतिरिक्त जांच की जाएगी।
निर्वाचन आयोग ने माइक्रो ऑब्जर्वरों को यह भी निर्देश दिया है कि वे मतदाताओं द्वारा किए गए दावों का मिलान सुनवाई के दौरान जमा किए गए सहायक दस्तावेजों से जरूर करें। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पूरी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और भरोसेमंद रहे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि उद्देश्य यह है कि न तो किसी भी वैध मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची से हटे और न ही कोई भी फर्जी मतदाता सूची में शामिल रह पाए।
मतदाता सूची के लिए 27 दिसंबर से शुरू होने वाले पहले चरण में उन अनमैप्ड मतदाताओं को बुलाया जाएगा, जिनका संबंध न तो 2002 की मतदाता सूची से स्वयं मैपिंग के जरिए जुड़ा है और न ही वंशज मैपिंग के माध्यम से। ऐसे मतदाताओं की संख्या 30 लाख से अधिक बताई जा रही है।
दूसरे चरण में उन संदिग्ध मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा, जिनके पारिवारिक विवरण में वंशज मैपिंग के दौरान गड़बड़ी पाई गई है। ऐसे मामलों की संख्या करीब 1.36 करोड़ बताई गई है।
पश्चिम बंगाल में इससे पहले एसआईआर 2002 में हुआ था। मसौदा मतदाता सूची 16 दिसंबर को प्रकाशित की जा चुकी है। अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को जारी की जाएगी। इसके बाद निर्वाचन आयोग राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा।

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