तमिलनाडु में इमानबेलू शेखरन जयंती पर ऐतिहासिक आयोजन, लाखों लोगों की उपस्थिति

 

मैंने स्वयं परमाकुडी स्थित इमानबेलू साहब की समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी: शालिनी सिंह पटेल

रामनाथपुरम (परमाकुडी): तमिलनाडु के परमाकुडी कस्बे ने बृहस्पतिवार को इतिहास रच दिया। यहां कुर्मी समाज के प्रेरणास्रोत इमानबेलू शेखरन जी की जयंती पर आयोजित भव्य समारोह में  लाखों लोगों की भागीदारी दर्ज की गई। यह आयोजन न सिर्फ तमिलनाडु बल्कि पूरे भारत के सबसे बड़े सामाजिक समारोहों में से एक माना जा रहा है।



कार्यक्रम किसी राजनीतिक दल के मंच पर नहीं, बल्कि समस्त कुर्मी समाज और जनता की साझी श्रद्धा से संपन्न हुआ। मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, सामाजिक कार्यकर्ता, महिला समूह, किसान संगठन और युवाओं की विशाल उपस्थिति ने आयोजन को जनआंदोलन का स्वरूप दे दिया।

समारोह में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, छात्रवृत्ति वितरण, महिला केंद्रित कार्यशालाएँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं। समाधि स्थल पर पुष्पांजलि और मौन संकल्प के साथ इमानबेलू साहब के विचारों को स्मरण किया गया।

विशेष आमंत्रण पर उत्तर प्रदेश से पहुँचीं जनता दल यूनाइटेड की प्रदेश उपाध्यक्ष सुश्री शालिनी सिंह पटेल ने कहा—“20 लाख लोगों की मौन उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि इमानबेलू साहब केवल तमिलनाडु के नहीं, बल्कि पूरे देश के हैं। यह आयोजन परंपरा का पालन नहीं, बल्कि विचारों की पुनर्पुष्टि था।”

सुश्री पटेल ने बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का धन्यवाद करते हुए कहा “नीतीश जी ने इमानबेलू साहब की विचारधारा को सत्ता और सेवा दोनों में जीवित रखा है। वे सामाजिक न्याय की राजनीति के सच्चे संवाहक हैं।”

बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री एवं जदयू के उत्तर प्रदेश प्रभारी माननीय श्रवण कुमार को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा “उन्होंने मुझे बेटी मानकर इस ऐतिहासिक आयोजन में भेजा। यह समाज के लिए संदेश है कि बेटियाँ आज नेतृत्व की धुरी बन रही हैं।”

सुश्री पटेल ने कहा “मैं धन्यवाद देती हूँ उत्तर प्रदेश जदयू के कार्यकर्ताओं को, जिनकी मेहनत और विश्वास ने मुझे राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचने का अवसर दिया। यह उपलब्धि मेरी नहीं, हमारी साझा जीत है। मैं विशेष रूप से तमिलनाडु की जनता को भी धन्यवाद देती हूँ, जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इमानबेलू साहब के विचारों को राष्ट्रीय पहचान दी।”

इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि जब समाज एकजुट होता है, तो विचार सत्ता और सीमाओं से कहीं बड़े हो जाते हैं। इमानबेलू शेखरन जी की स्मृति जाति, भाषा और क्षेत्र की सीमाओं से परे जाकर सामाजिक न्याय और एकता की राष्ट्रीय धरोहर बन चुकी है।

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