बिहार कृषि विश्वविद्यालय में “पीएम किसान उत्सव दिवस” धूमधाम से मनाया गया

सबौर(भागलपुर):दिनांक 02 अगस्त 2025 शनिवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में “पीएम किसान उत्सव दिवस” का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख्य सभागार में 600 से अधिक किसान, वैज्ञानिक, अधिकारी एवं विद्यार्थी उपस्थित हुए और उन्होंने  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  द्वारा पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 20वीं किस्त के सीधा प्रसारण को देखा एवं सुना।

इस अवसर पर  प्रधानमंत्री  ने संपूर्ण भारतवर्ष के किसानों के बैंक खातों में ₹10,000 करोड़ रुपये की सम्मान राशि का हस्तांतरण किया, जिसमें 75 लाख किसान केवल बिहार राज्य से हैं। प्रधानमंत्री  ने शिव की नगरी काशी से किसानों को संबोधित करते हुए भावुक शब्दों में कहा: “शिव की नगरी काशी से भेजा गया यह धन प्रसाद बनकर देश के किसानों के खाते में पहुंच रहा है।”

कार्यक्रम के दौरान भागलपुर के माननीय सांसद  अजय मंडल भी विश्वविद्यालय सभागार में उपस्थित रहे। उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे किसानों के जीवन में बदलाव लाने वाला कदम बताया।


इस अवसर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के  कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने अपने संबोधन में कहा “बिहार कृषि विश्वविद्यालय किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सतत कार्य कर रहा है। बीते दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने 5 लाख से अधिक किसानों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया है। अब हम अगला कदम ‘पोषण आत्मनिर्भरता’ की ओर बढ़ा रहे हैं। आगामी माह से भागलपुर क्षेत्र के किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा पांच प्रकार के पौधे – आम, केला, सहजन, नींबू एवं पपीता – निःशुल्क वितरित किए जाएंगे।”

कृषकों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर की ओर से आने वाले किसानों को पशुपालन एवं सिलाई का भी प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इससे ग्रामीण महिलाओं एवं युवाओं में स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. आर. के. सोहाने ने किया। कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन डॉ. एम. जेड. होदा द्वारा किया गया, जबकि अंत में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रधान श्रीमती अनीता कुमारी ने उपस्थितजनों के प्रति आभार व्यक्त किया।
यह आयोजन न केवल प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की सफलता का उत्सव था, बल्कि किसानों के प्रति समर्पण और कृषि उन्नयन की दिशा में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के निरंतर प्रयासों का प्रतीक भी था।

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