बेंगलुरु: भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में शनिवार को बड़ा खुलासा किया है कि हमने पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमानों को 300 किलोमीटर दूर से हमला करके मार गिराया था। भारतीय वायु सेना ने जैकबाबाद और भोलारी एयरबेस पर हमला करके पाकिस्तान की हवाई ताकत को कमजोर कर दिया था। भारत की ओर से यह सतह से हवा में मार करने वाला अब तक का सबसे बड़ा हमला था।
एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान ऑपरेशन 'सिंदूर' के परिणामों पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारे पास कम से कम पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। हम मुरीद और चकलाला जैसे कम से कम दो कमांड और कंट्रोल सेंटर नष्ट करने में कामयाब रहे। यहां कम से कम छह रडार नष्ट हुए, जिनमें से कुछ बड़े और कुछ छोटे हैं। इसके अलावा एक एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (अवाक्स) या इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस (ELINT) को भारत ने अपनी ही सीमा के अन्दर रहकर 300 किमी. की दूरी से मार गिराया। पाकिस्तान का जैकबाबाद हवाई अड्डा उन प्रमुख हवाई अड्डों में से एक है, जिन पर हमला हुआ था। यहां पाकिस्तानी वायु सेना के एफ-16 फाइटिंग अमेरिकी फाल्कन बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमानों का एक हैंगर भी है, जिसका आधा हिस्सा नष्ट हो गया और अंदर कुछ विमानों के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि हुई है।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि ऑपरेशन 'सिंदूर' के दौरान भारत की ओर से यह वास्तव में सतह से हवा में मार करने वाला अब तक का सबसे बड़ा हमला था, जिसके बारे में अब हम खुलकर बात कर सकते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मुरीदके में लश्कर मुख्यालय पर हमले के पहले और बाद की तस्वीरें दिखाते हुए एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने बताया कि यह उनके वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व का आवासीय क्षेत्र है। यह उनका कार्यालय भवन था, जहां वे बैठकें करने के लिए एकत्र होते थे। वायुसेना प्रमुख ने बहावलपुर में जैश मुख्यालय पर हमले के पहले और बाद की तस्वीरें दिखाते हुए बताया कि हमारे हमले में यहां लगभग कोई भी अवशेष नहीं बचा है, जबकि आस-पास की इमारतें लगभग पूरी तरह सुरक्षित हैं। हमला करने से पहले हमारे पास न केवल उपग्रह चित्र थे, बल्कि स्थानीय मीडिया से मिली तस्वीरें भी थीं, जिनके माध्यम से हम अंदर की तस्वीरें प्राप्त कर सके।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान का कोई भी विमान हमारे आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम और यहां तक कि मीडियम रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की सीमा के आस-पास भी नहीं आ सका। उनके सभी विमानों को हमारी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल ने निशाना बनाया, क्योंकि वे दूर रहने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन फिर भी वे कई बार हमारी सीमा में थे और यही हमारे लिए अवसर था। जहां तक हमारे आक्रमण का सवाल है, तो उस रात हमारे पास कोई रोक-टोक नहीं थी और हमने तय किया कि हम पैन फ्रंट पर हमला करेंगे, हम अपने संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे। एक बार फिर हमारा उद्देश्य किसी एक खास हवाई क्षेत्र पर हमला करके उसे तबाह करना नहीं था, बल्कि उन्हें यह एहसास दिलाना था कि देखो, हम तुम पर अंदर तक, अपनी इच्छानुसार, जहां चाहें, हमला कर सकते हैं।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान हमारी वायु रक्षा प्रणालियों ने शानदार काम किया है। एस-400 प्रणाली एक गेम-चेंजर रही है, जिसे हमने हाल ही में रूस खरीदा था। इसकी रेंज ने वास्तव में पाकिस्तान के हथियारों को हमारे हथियारों से दूर रखा है, जैसे कि उनके पास जो लंबी दूरी के ग्लाइड बम हैं, लेकिन वे उनमें से किसी का भी उपयोग नहीं कर पाए हैं, क्योंकि वे हमारी इस प्रणाली को भेदने में सक्षम नहीं थे।चीफ मार्शल एपी सिंह ने सरगोधा एयरबेस के बारे में कहा कि हम अपनी वायु सेना में ऐसे ही दिनों का सपना देखते हुए बड़े हुए हैं कि किसी दिन हमें वहां जाने का मौका मिलेगा। संयोग से मुझे रिटायर होने से ठीक पहले यह मौका मिल गया, तो हमने वहां हवाई अड्डे पर हमला करके अपना सपना पूरा कर लिया।
बालाकोट एयर स्ट्राइक को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बालाकोट में हम अंदर से कुछ भी हासिल नहीं कर सके थे, इसलिए दुर्भाग्य से अपने ही लोगों को यह बताना मुश्किल हो गया था कि हम क्या हासिल कर पाए हैं। हमारे पास अंदर क्या हुआ था, इसकी खुफिया जानकारी थी, हमारे पास मानवीय खुफिया जानकारी थी, जिससे हमें अंदर की बहुत स्पष्ट तस्वीर मिलती थी कि कितना बड़ा नुकसान हुआ है। बहुत सारे आतंकवादी मारे गए हैं, लेकिन हम अपने लोगों को यह विश्वास नहीं दिला सके कि हमने क्या हासिल किया।ऑपरेशन 'सिंदूर' की उपलब्धियों पर इसलिए बहुत खुशी है कि इस बार हम बालाकोट के उस भूत से निपटने में और हम दुनिया को यह बताने में सक्षम रहे कि हमारी ताकत क्या है और हमने हासिल क्या किया है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ऑपरेशन 'सिंदूर' को रोकने के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह एक हाई-टेक युद्ध था। 80 से 90 घंटे के युद्ध में हम इतना नुकसान पहुंचाने में कामयाब रहे कि उन्हें साफ पता चल गया कि अगर वे इसे जारी रखेंगे, तो उन्हें इसकी और भी ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए वे आगे आए और हमारे डीजीएमओ को संदेश भेजा कि वे बात करना चाहते हैं। हमारी तरफ से इसे स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि हमें सफलता मिलने के पीछे का प्रमुख कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना था।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन से पहले हमें बहुत स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। हम पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए गए, अगर कोई बाधाएं थीं, तो वे स्वनिर्मित थीं, इसलिए हमने तय किया कि कितना आगे बढ़ना है, हमें योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने की पूरी आजादी थी। हमारे हमले सोच-समझकर किए गए थे, क्योंकि हम इसे लेकर परिपक्व होना चाहते थे। तीनों सेनाओं के बीच समन्वय था, क्योंकि चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ (सीडीएस) के पद ने वास्तव में फर्क डाला। वह हमें एक साथ लाने के लिए मौजूद थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी सभी एजेंसियों को एक साथ लाने में बड़ी भूमिका निभाई।
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