कोलकाता: आईआईटी खड़गपुर में एक बार फिर छात्र की आत्महत्या से कैंपस में शोक और चिंता का माहौल है। चौथे वर्ष के बीटेक छात्र ऋतम मंडल की संदिग्ध परिस्थिति में मौत के बाद संस्थान ने एक 10 सदस्यीय तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया है, जो इस घटना के पीछे के कारणों की गहराई से जांच करेगी। संस्थान के प्रवक्ता प्रतीक दामा ने "हिन्दुस्थान समाचार" को मंगलवार को यह जानकारी दी।
संस्थान के निदेशक सुमन चक्रवर्ती, जिन्होंने हाल ही में कार्यभार संभाला है, ने कहा कि समिति शैक्षणिक, सामाजिक और मानसिक पहलुओं की पड़ताल करेगी और इस महीने के अंत तक अपनी सिफारिशें सौंपेगी। पुलिस अपनी तरफ से जांच कर रही है, जबकि संस्थान ने आंतरिक स्तर पर यह समिति बनाई है।
निदेशक चक्रवर्ती ने कहा कि ऋतम हमारे अपने बेटे जैसा था। उसकी मृत्यु से हम बेहद दुखी हैं। हमारा संस्थान छात्रों पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डालता। हमें यह समझने की ज़रूरत है कि आखिर ऐसी परिस्थिति क्यों बनी।
21 वर्षीय ऋतम मंडल, जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग का छात्र था जो 18 जुलाई को राजेंद्र प्रसाद हॉल के हॉस्टल रूम में फांसी के फंदे पर लटका पाया गया। वह 15 जुलाई को दो महीने की छुट्टी के बाद कैंपस लौटा था। उस समय उसका रूममेट अभी हॉस्टल नहीं लौटा था।
चक्रवर्ती ने कहा कि हमें यह भी सोचना होगा कि कहीं कोई सामाजिक वजह तो ऐसी घटनाओं का कारण नहीं बन रही है। अगर कोई व्यक्ति ऐसे छात्रों की चरम मानसिक तनाव के समय मदद करे, तो शायद ऐसी घटनाओं को टाला जा सकता है।
आईआईटी खड़गपुर के अनुसार, ऋतम के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सार्थ काउंसलिंग सेंटर में कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं था और विभागीय फैकल्टी एडवाइज़र ने भी उसके किसी प्रकार के शैक्षणिक या व्यक्तिगत परेशानी की जानकारी नहीं दी।
यह इस वर्ष जनवरी से अब तक कैंपस में चौथा अप्राकृतिक मृत्यु का मामला है :
12 जनवरी को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष के छात्र शौन मलिक ने आत्महत्या की।
20 अप्रैल को महाराष्ट्र से आए फाइनल ईयर ओशन इंजीनियरिंग छात्र अनिकेत वॉकर का शव जेसी बोस हॉल में फांसी पर मिला।
4 मई को बिहार के तृतीय वर्ष के छात्र मोहम्मद आसिफ क़मर मृत पाए गए।
इन घटनाओं के मद्देनज़र संस्थान ने कुछ नई पहलें भी शुरू की हैं। अब हर हॉस्टल रूम के गेट पर बारकोड लगाए जा रहे हैं, जिन्हें स्कैन कर छात्र कभी भी काउंसलिंग सेवा का संपर्क नंबर प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा 'कैम्पस मदर्स' नामक कार्यक्रम भी शुरू किया गया है, जिसमें महिला फैकल्टी और स्टाफ सदस्य छात्रों की भावनात्मक मदद के लिए संरक्षक की भूमिका निभा रही हैं।
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