कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने विश्वबंग वाणिज्य सम्मेलन (बीजीबीएस) से पहले बंगाल के 'पर्यटन क्षेत्र' को उद्योग के रूप में मान्यता दी है. पूर्वी भारत में यह पहली बार है कि किसी राज्य ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है. राज्य सचिवालय सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया. लंबे समय से विभिन्न उद्योगपति और वाणिज्य मंडल पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं.
नवान्न के अधिकारियों का कहना है कि उद्योग का दर्जा मिलने से पर्यटन क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा. जो लोग पर्यटन केंद्र बनाना चाहते हैं उन्हें बैंकों से आसान शर्तों पर बड़ा ऋण मिलेगा. भूमि संबंधी मामलों में भी लाभ मिलेगा. 'फ्री होल्ड' यानी पट्टे पर मिलने वाली जमीन का मालिकाना हक मिलना फायदेमंद साबित होगा. इस तरह भूमि का चरित्र परिवर्तन आसानी से किया जा सकता है. जल एवं मनोरंजन कर (टैक्स) पर काफी रियायतें मिलती हैं. राज्य सरकार की उद्योग जगत के लिए जो विशेष नीति है, वही पर्यटन क्षेत्र पर भी लागू होगी.
उल्लेखनीय है कि 2021 में, राज्य सरकार ने उद्योग में निवेश आकर्षित करने के लिए एक विशेष प्रोत्साहन नीति की घोषणा की. इस बार वह लाभ पर्यटन उद्योग को भी मिलेगा. बंगालवासी घूमने फिरने में काफ़ी दिलचस्पी लेते हैं, इसलिए जैसे-जैसे पर्यटन केंद्र बढ़ेगा, वैसे वैसे उस क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा. प्रशासन के एक वर्ग का मानना है कि उद्योग का दर्जा देना जरूरी है. हाल ही में महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया गया है.
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