Earthquake: अफ्रीकी देश मोरक्को में हाल ही में 8 सितंबर 2023 शुक्रवार को एक जोरदार भूकंप आया। जानकारी मिलती है कि यहां झटके स्थानीय समयानुसार देर रात करीब 11.11 बजे महसूस किए गए। कुछ देर बाद ही इन जगहों पर भूकंप के ऑफ्टरशॉक भी महसूस किए गए जिनकी तीव्रता 4.9 मापी गई है। वैसे इस भूकंप की तीव्रता मोरक्को जियोलॉजिकल सेंटर के अनुसार 7.2 बताई जा रही है। यह आर्टिकल लिखने तक ही इस भूकंप से आठ सौ बाइस लोगों की मौत हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि मृतकों में आधे से ज्यादा अल-हाऊज और तरूडांट प्रांत के हैं। इसके अलावा मोरक्को के उआरजजाते, चिचाउआ, अजीलाल और यूसुफिया प्रांत के अलावा मरक्केश, अगादीर और कैसाब्लांका इलाके में भी मौतों को दर्ज किया गया है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह भी आशंका जताई जा रही है कि इस भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा अभी काफी बढ़ सकता है। जानकारी मिलती है कि इस भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान शहर के बाहर पुरानी बस्तियों को हुआ है। बताया जा रहा है कि 120 सालों में यह सबसे ताकतवर भूकंप था। इस ख़तरनाक भूकंप में जहां सैकड़ों लोग मारे गए हैं वहीं दूसरी ओर 672 लोग जख्मी हुए हैं। वैसे यू एस जियोलॉजिकल सर्वे ने इसकी तीव्रता 6.8 बताई है। इस ताकतवर भूकंप की वजह से कई इमारतें ढह गईं हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस भूकंप से जुड़े कई वीडियो तेजी से वायरल हो हुए, जिसमें लोग भागते हुए नजर आ रहे हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि भूकंप का एपिसेंटर एटलस पर्वत के पास इघिल नाम का गांव बताया जा रहा है, जो माराकेश शहर से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। भूकंप की गहराई जमीन से 18.5 किलोमीटर नीचे थी। मीडिया के हवाले से खबरें मिली हैं कि पुर्तगाल और अल्जीरिया तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप से अनेक इमारतें पलभर में ही मलबे में तब्दील हो गईं।
यह भी जानकारी मिलती है कि यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल ऐतिहासिक माराकेश में पर्यटकों का ध्यान खींचने वाली लाल दीवारों के कुछ हिस्से भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। यू एस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक उत्तरी अफ्रीका में भूकंप काफी दुर्लभ है। जानकारी मिलती है कि इससे पहले 1960 में अगादिर के पास 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था। तब हजारों लोगों की मौत हो गई थी। जानकारी देना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन दिल्ली में अपने शुरुआती भाषण में इस भीषण भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि , ‘मुश्किल की इस घड़ी में पूरा विश्व समुदाय मोरक्को के साथ है और हम उन्हें हरसंभव सहायता देने के लिए तैयार हैं।’ हाल फिलहाल जानकारी देना चाहूंगा कि भूकंप एक खतरनाक प्राकृतिक आपदा है।
भूकंप के कारण जान-माल की बड़े पैमाने पर क्षति हो सकती है। विभिन्न आधारभूत संरचनाओं, जैसे-पुलों, रेल की पटरियों, भवनों, नगरों ,आदि की क्षति हो सकती है। यहां तक कि भूकम्प के कारण भूस्खलन, बाढ़, आग लगना जैसी आकस्मिक दुर्घटनाओं का जन्म भी हो सकता है। भूकंप के कारण बांध टूट सकते हैं, हिमस्खलन का खतरा पैदा हो सकता है।
कई बार समुद्री भाग में भूकम्प आ जाने से सुनामी जैसी आपदा पैदा हो जाती है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर तबाही होती है। वैसे भूकंप मानव निर्मित भी हो सकते हैं। दूसरे शब्दों में हम यह बात कह सकते हैं कि कोई भी भूकंपीय घटना, प्राकृतिक या मानव निर्मित जो भूकंपीय तरंगें उत्पन्न करती है, भूकंप मानी जाती हैं।
कई बार समुद्री भाग में भूकम्प आ जाने से सुनामी जैसी आपदा पैदा हो जाती है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर तबाही होती है। वैसे भूकंप मानव निर्मित भी हो सकते हैं। दूसरे शब्दों में हम यह बात कह सकते हैं कि कोई भी भूकंपीय घटना, प्राकृतिक या मानव निर्मित जो भूकंपीय तरंगें उत्पन्न करती है, भूकंप मानी जाती हैं।
यहां पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि मूलत: भूकंपीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं, जिनमें भूगर्भिक तरंगें एवं धरातलीय तरंगें शामिल हैं। वास्तव में भूगर्भिक तरंगें उद्गम केंद्र से ऊर्जा के मुक्त होने के दौरान उत्पन्न होती हैं तथा ये पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों से होकर सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं। ये भी दो प्रकार की होती हैं, जिनमें 'पी' व 'एस' तरंगें शामिल हैं। यदि हम यहां 'पी' तरंगों की बात करें तो ये तीव्र गति से चलकर धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं। इन्हें प्राथमिक तरंगें भी कहते हैं जो ध्वनि तरंगों जैसी होती हैं। ये ठोस, दृव व गैस तीनों माध्यमों से गुजर सकती हैं। वहीं दूसरी प्रकार की तरंगों को 'एस' तरंगों के नाम से जाना जाता है। 'एस' तरंगें धरातल पर कुछ समय बाद पहुँचती हैं तथा द्वितीयक तरंगें कहलाती हैं।
ये केवल ठोस माध्यमों में ही चल सकती हैं। ये तरंगें सबसे ज्यादा विनाशकारी होती हैं। वहीं यदि हम यहां धरातलीय तरंगों की बात करें तो भूगर्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के बीच अन्योन्य क्रिया के कारण उत्पन्न तरंगों को धरातलीय तरंग कहा जाता है। ये तरंगें धरातल के साथ-साथ चलती हैं। इन्हें 'एल' तरंगें भी कहते हैं तथा ये भी अत्यंत विनाशकारी होती हैं। वास्तव में यह पृथ्वी की स्थलमंडल परत में ऊर्जा की अचानक रिहाई के परिणामस्वरूप होता है, जिससे भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं। वह सतह जहां प्लेटें खिसकती हैं, फॉल्ट प्लेन या सीधे शब्दों में कहें तो फॉल्ट कहलाती है। हाइपोसेंटर पृथ्वी की सतह के नीचे के उस स्थान को कहा जाता है जहां भूकंप शुरू होता है, और हाइपोसेंटर के ठीक नीचे के स्थान को भूकंप का केंद्र कहा जाता है।
जानकारी देना चाहूंगा कि इस वर्ष 6 फरवरी 2023 को भी तुर्की और सीरिया में भी खतरनाक भूकंप एक त्रासदी बनकर आया था। एक के बाद एक लगातार आए भूकंप के झटकों ने इन दोनों ही देशों (विशेषकर तुर्की) को बुरी तरह प्रभावित किया था। जानकारी देना चाहूंगा कि भूकंप के मुख्य कारण टेक्टोनिक प्लेटों का हिलना, ज्वालामुखी विस्फोट, भूमिगत विस्फोट, प्रेरित भूकंप (मानवीय गतिविधियाँ) आदि को शामिल किया जा सकता हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि मानव जनित कारणों में खनन क्रिया, परमाणु विस्फोट, भूमिगत जल निष्कर्षण, बांधों का निर्माण व प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ शामिल है तथा अन्य कारकों में उल्कापात, पृथ्वी के घूर्णन या परिभ्रमण के अन्तर्गत अन्य आकाशीय पिण्डों के पृथ्वी पर प्रभाव से होने वाली हलचल आदि को शामिल किया जा सकता है।
इनके अलावा, भूकंप कई भूवैज्ञानिक कारकों, प्राकृतिक घटनाओं के कारण हो सकते हैं। वास्तव में भूगर्भिक हलचलों द्वारा भूपटलीय भ्रंशन तथा वलन होता है, जिसका प्रमुख कारण तनावमूलक तथा संपीडन बल है। तनावमूलक बल से प्रायः भ्रंशों का निर्माण होता है जबकि संपीडन बल के कारण वलन एंव क्षेपण की प्रक्रियाएं होती हैं, जिसके फलस्वरूप भूकम्प की उत्पत्ति होती है। भूकंप वैसे तो प्राकृतिक घटना है, जिस पर मानव का कोई नियंत्रण नहीं है लेकिन प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जैसे प्रकृति का संरक्षण कर व भूकंप से बचने के उपायों को अपनाकर भूकंप से बचाव किया जा सकता है।
भूकंप से बचने के लिए हमें यह चाहिए कि हम भवन निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का प्रयोग करें ताकि हल्के झटकों में घर सुरक्षित रहे। घर के अंदर होने की दशा में भूकंप आने पर हम किसी मजबूत मेज या बेड के नीचे शरण ले सकते हैं तथा साथ में आपातकालीन किट को रख सकते हैं। खुले क्षेत्रों में रहने पर पेड़ों, खंभों, पुलों, इमारतों इत्यादि से हमें दूर रहना चाहिए। यदि भूकंप के समय यदि हम कोई वाहन या गाड़ी चला रहे हैं तो हमें यह चाहिए कि हम अपने वाहन को रोककर उसमें अंदर बैठे रहें तथा उसे पेड़ों, इमारतों, तारों, इत्यादि से दूर रखें। हमें आपातकालीन सहायता नंबरों को याद रखना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उनसे तुरंत संपर्क किया जा सके। भूकंप आने की स्थिति में घबरायें बिल्कुल भी नहीं, शांति और धैर्य से, दिमाग से भूकंप से बचने के उपाय करें, घबराने से स्थिति बिगड़ती ही है।
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला,फ्रीलांस राइटर,कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।
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