आज 10 जुलाई के दिन सावन के पहले सोमवार का व्रत रखा जा रहा है. सावन का पहला सोमवार विशेष धार्मिक महत्व रखता है जिसकी एक वजह यह है कि सोमवार को भोलेनाथ का दिन कहा जाता है. इस दिन को भगवान शिव की पूजा को समर्पित किया गया है. सावन के महीने में हर सोमवार के दिन विशेष शिव पूजा की जाती है. ज्योतिषानुसार इस सोमवार पर पंचक का साया भी लग रहा है. अपितु पंचक का पूजा पर खासा प्रभाव नहीं माना जा रहा जिस चलते पूजा सुचारु रूप से की जाती सकती है. जानिए सावन के पहले सोमवार के दिन किस तरह शिव पूजा की जाए जिससे भगवान शिव प्रसन्न हो जाएं और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त हो.
इस साल सावन एक नहीं बल्कि 2 महीने का पड़ रहा है. सावन में शिव पूजा करने के लिए सुबह-सवेरे उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. घर के मंदिर में भगवान शिव के समक्ष दीप जलाया जाता है. इसके बाद शिव मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा की जाती है. शिवलिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक किया जाता है. इसके पश्चात बेलपत्र, धतूरा और पुष्प शिव जी पर अर्पित करते हैं. पूजा की सामग्री में खासतौर से जल, दही, दूध, पंचामृत, चीनी, वस्त्र, चंदन, रोली, अक्षत, फल, पान, इलायची, लौंग और धूप आदि शामिल किए जाते हैं. पूजा में आरती के बाद भोग लगाया जाता है और पूजा संपन्न होती है.
शिव पूजा में शिवलिंग का अभिषेक अलग-अलग चीजों से किया जा सकता है. शिवलिंग पर अभिषेक करने के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास किया जा सकता है. शिवलिंग अभिषेक शुद्ध जल, गंगाजल, दूध, दही और घी से किया जा सकता है. सावन के महीने में भगवान शिव की अत्यधिक पूजा की जाती है. इस महीने कांवड़ लेकर कांवड़िया धार्मिक स्थलों पर जाते हैं और भोलेनाथ की महिमा गाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रावण मास में ही माता पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी. शिव शंकर ने तपस्या देखी और देवी पार्वती से विवाह किया. इस चलते भी सावन का खास महत्व माना जाता है और कहते हैं कि भगवान शिव इस माह सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
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