वंदे भारत अब केसरिया रंग में भी नजर आएगी. रेलवे अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि भारत में निर्मित सेमी-हाई-स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस की 28वीं रैक का रंग 'केसरिया' होगा. नई केसरी वंदे भारत एक्सप्रेस हालांकि, अभी तक पटरी पर नहीं उतरी है और वर्तमान में चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में खड़ी है, जहां वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जाता है. रेलवे अधिकारियों ने एएनआई को बताया कि वंदे भारत एक्सप्रेस के कुल 25 रेक अपने निर्धारित मार्गों कीी ओर जा कर रहे हैं और दो रेक आरक्षित हैं. उन्होंने कहा, "हालांकि इस 28वें रेक का रंग परीक्षण के तौर पर बदला जा रहा है."
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईएफसी) का दौरा कर इस संयंत्र में बनने वाली वंदे भारत ट्रेनों की निर्माण गतिविधियों का जायजा लिया. वैष्णव के साथ आईसीएफ के वरिष्ठ अधिकारी भी थे. वैष्णव ने नई पीढ़ी की अत्याधुनिक उच्च-गति वाली वंदे भारत ट्रेन के उत्पादन का जायजा लेने के साथ परिसर का दौरा भी किया.
वैष्णव ने सोशल मीडिया पर कारखाने के अपने दौरे की तस्वीरें पोस्ट करते हुए कहा, "चेन्नई स्थित आईसीएफ में वंदे भारत ट्रेन के उत्पादन का निरीक्षण किया." रेल मंत्री ने आईसीएफ के अधिकारियों और कर्मचारियों से बात करने के अलावा उनके साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं. वैष्णव ने इससे पहले एक विशेष ट्रेन का अनावरण किया, जिसे देश भर में विरासत स्थलों को जोड़ने वाले मार्गों पर चलाया जाएगा.
निरीक्षण करने के बाद, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वदेशी ट्रेन की 28वीं रैक का नया रंग "भारतीय तिरंगे से प्रेरित" है. उन्होंने कहा कि वंदे भारत ट्रेनों में 25 सुधार किए गए हैं. वैष्णव ने बताया, "यह मेक इन इंडिया की एक अवधारणा के तहत भारत में हमारे अपने इंजीनियरों और तकनीशियनों द्वारा डिजाइन किया गया है. इसलिए वंदे भारत के संचालन के दौरान एसी, शौचालय आदि के संबंध में हमें फील्ड इकाइयों से जो भी फीडबैक मिल रहा है, उन सभी सुधारों का उपयोग डिज़ाइन में बदलाव करने के लिए किया जा रहा है."
आईसीएफ कारखाने में ही 2018-19 में पहली ‘वंदे भारत एक्सप्रेस' ट्रेन बनकर तैयार हुई थी. तीव्र गति वाली यह ट्रेन अब देश के तमाम हिस्सों में चलने लगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्टेशन पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के दो नए और उन्नत संस्करणों (गोरखपुर-लखनऊ और जोधपुर-साबरमती) को हरी झंडी दिखाई, जिससे देश भर में कुल परिचालन सेवा एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर 50 पर पहुंच गई.
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