श्री सीमेंट आयकर मामला : सवालों के जवाब नहीं मिले तो ऑडिटर को बताया जिम्मेदार

  • श्री सीमेंट के कारोबारी स्थलों पर आयकर सर्वे का मामला
  • कम्पनी के एमडी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ऑडिटर के स्टेटमेंट हुए दर्ज
  • आयकर सर्वे में पकड़ी थी 9000 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी
  • सर्वे में देश की सबसे बड़ी वित्तीय गड़बड़ी पकड़ने का किया विभाग ने दावा
  • सीमेंट उत्पादन में नुकसान के बावजूद धड़ाधड़ खुल रही हैं नई इकाइयां
  • पावर प्लांट में मुनाफा दिखा कर उठाया आयकर छूट का लाभ

विमल कोठारी
जयपुर: देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के हाल ही समाप्त हुए आयकर सर्वे में अब आयकर वसूली के लिए आयकर विभाग ने कमर कस ली है. विभाग की ओर से दिए गए सम्मन पर कम्पनी का पक्ष रखने के लिए कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारी गत 4 जुलाई से आयकर अधिकारियों के सवालों का सामना कर रहे हैं. आयकर अधिकारियों के सवालों का जवाब नहीं बनते देख अब कम्पनी अधिकारियों ने इस पूरी गड़बड़ी का ठीकरा अपने अंकेक्षक के माथे फोड़ने की कोशिश की है, लेकिन क्रॉस एग्जामिशन में कम्पनी के ऑडिटर ने इससे साफ इनकार करते हुए इसे कम्पनी के उच्चाधिकारियों के दिमाग की उपज करार दिया है. जयपुर में गत 4 जुलाई को कम्पनी के प्रबंध निदेशक नीरज अखोरी के स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने की शुरुआत हुई जो दो दिन चली. इसके अलावा कम्पनी के संयुक्त प्रेसिडेंट (कॉमर्शियल) अरविंद खींचा और ऑडिटर विजय शाह से 4 जुलाई से 6 जुलाई के बीच सवाल-जवाब किए गए. हालात यह है कि आयकर अधिकारियों का शिकंजा इतना कड़ा है कि कम्पनी प्रबंधन के पास कहने को कुछ नहीं और पिछले कई सालों से आयकर नहीं चुकाने की आदत के चलते अब देय आयकर चुकाने की हिम्मत भी नहीं.

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देश की प्रमुख सीमेंट निर्माता कम्पनियों में से एक श्री सीमेंट लिमिटेड के आयकर सर्वे में विभागीय अधिकारियों ने करीब 9,000 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं और इस राशि पर आयकर देय होने के बावजूद नहीं चुकाए जाने की अब तक गणित लगाई है. चूंकि आयकर विभाग ने कम्पनी के ब्यावर में दो, नवलगढ़ में एक, पानीपत, कोलकाता और गुरुग्राम स्थित कम्पनी के व्यावसायिक ठिकानों पर आयकर कानून की धारा 133-ए में आयकर सर्वे की कार्रवाई की, अत: कम्पनी पर देय आयकर भुगतान की देयता की प्रतिशतता भी आयकर सर्च की कार्रवाई की तुलना में कम है. श्री सीमेंट ने पिछले दस साल में आयकर (कॉरपोरेट टैक्स) के रूप में सरकार को कोई राशि जमा नहीं कराई, जो भी भुगतान किया वह मैट (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) के रूप में किया, जिसका समायोजन एक निश्चित समयावधि में आयकर की देयता पर किया जा सकता है. बताया जाता है कि कम्पनी के खातों में वर्तमान में करीब 2500 करोड़ रुपए की राशि मेट के खाते में जमा है. चूंकि अधिकारियों ने कम्पनी के यहां 9,000 करोड़ की राशि पर आयकर देयता का आंकलन किया है, ऐसे में मैट के रूप में जमा 2,500 करोड़ का समायोजन किए जाने की दशा में भी कम्पनी पर एक हजार करोड़ रुपए से अधिक व देय हो चुके आयकर पर आयकर कानून के प्रावधानों के अनुसार ब्याज का भुगतान करना होगा. जिसे चुकाना कम्पनी के लिए दुष्कर होगा.

सूत्र बताते हैं कि कम्पनी की ओर से आयकर छूट के दावों के लिए दस्तावेज में पावर जनरेशन में गड़बड़ी, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और सोलिड वैस्ट मैनेजमेंट आदि पर खर्च तो दिखा दिया, लेकिन यह सब जमीनी हकीकत में नहीं मिले, ऐसे में इन दावों के खारिज होने और इस आधार पर आयकर वसूली की पूरी संभावनाएं हैं. इससे बचने के लिए कम्पनी प्रबंधन ने अब आयकर अधिकारियों के सवालों से बचने की रणनीति बनाई है और अधिकारियों को स्टेटमेंट के लिए अधिक समय की मांग करनी शुरू कर दी. चूंकि कम्पनी के खिलाफ आयकर अधिकारियों के हाथ ठोस प्रमाण है और छूट के दावों के लिए जिन प्लांट को बताया गया है, वे कम्पनी के प्लांट पर नहीं होने की बकायदा वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी है, ऐसे में आयकर अधिकारी भी कम्पनी प्रबंधन को स्टेटमेंट देने के लिए पूरा समय भी दे रहे हैं. अधिकारियों का दावा है कि ठोस प्रमाणों के कारण समय लेने के बावजूद कम्पनी प्रबंधन के पास ब्याज सहित बकाया आयकर चुकाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं है.

यह भी गौरतलब है कि कम्पनी की ओर से आयकर अधिकारियों को उपलब्ध कराए गए दस्तावेज में ही यह प्रमाणित हो रहा है कि कम्पनी ने पावर प्लांट को आयकर कानून में मिलने वाली छूट का बेजा लाभ उठाने के लिए पावर प्लांट के खर्च को भी कम दिखाया और इन प्लांट से अधिक लाभ अर्जित कर भरपूर आयकर छूट ली. इसके लिए श्रमिकों व कर्मचारियों के वेतन तक को समायोजित करने से भी गुरेज नहीं की गई. इसी तरह की वित्तीय गड़बड़ी श्री सीमेंट की सहयोगी इकाई न्यू इण्डिया पावर मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी में भी की गई और आयकर छूट का दुरुपयोग किया गया। इस सर्वे में मिली गड़बड़ी के आधार पर आयकर विभाग की जयपुर अन्वेषण शाखा ने एक विस्तृत रिपोर्ट केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को भी प्रेषित की है, जिसके आधार पर आयकर कानून में मिलने वाली छूट का दावा करने वाले अन्य करदाताओं की जांच के लिए भी शीघ्र ही देश भर में एक एडवाइजरी भी जारी होगी.

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