शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर मंगलवार को श्रीरामचरितमानस को लेकर विधान परिषद में विवादित बयान देने के क्रम में अपने ही गठबंधन के नेताओं से घिरे और उनके आचरण से परेशान सभापति ने आखिरकार उनके विभाग का बजट पास कराए बिना ही सदन को स्थगित कर दिया. सोमवार को विधानसभा में शिक्षा बजट पर चर्चा के दौरान रामचरितमानस पर विवादित दे गए थे. मंगलवार को विधान परिषद में दांव उल्टा पड़ गया. भोजनावकाश के बाद सदन में शिक्षा मंत्री जदयू और अपनी पार्टी राजद से ही घिर गए.
चंद्रशेखर ने शिक्षा बजट पर चर्चा के दौरान शिक्षा पर बात रखने की बजाय फिर से श्रीरामचरितमानस को लेकर विवादित पक्ष सदन में रखना शुरू किया. सत्ता पक्ष के सचेतक नीरज कुमार ने पहले शिक्षा मंत्री की जमकर आलोचन की. नीरज कुमार ने इससे पहले शिक्षा मंत्री के विवादित बोल को सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनाने से सभापति से रोक लगाने की मांग की. यही नहीं, नीरज ने शिक्षा मंत्री को रामायण, श्रीमदभगवदगीता, कुरानशरीफ और बाइबिल के विभिन्न प्रसंगों का जिक्र करते हुए नसीहत दी.
नीरज को निर्दलीय सदस्य महेश्वर सिंह और सत्ता पक्ष के उप मुख्य सचेतक सुनील कुमार सिंह का साथ मिल गया. दरअसल, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर विधानसभा की तरह ही विधान परिषद में श्रीरामचरितमानस के अलावा और कई पुस्तक लेकर पहुंचे थे. इस दौरान वे अपने विवादित बयान को सही करार देने में जुटे रहे, साथ ही कहा कि इन पुस्तकों पर उनके विचार को कार्यवाही का हिस्सा बना लिया जाय, लेकिन नीरज कुमार ने आपत्ति दर्ज की.
जदयू एमएलसी ने सदन में खड़े होकर कहा कि इसको कार्यवाही का हिस्सा मत बनाइए. अगर कार्यवाही का हिस्सा बनाइएगा तो हम कई कालखंडों को लेकर चर्चा करने लगेंगे. हम लोग संविधान की चर्चा करें या रामायण महाभारत या कुरान पर फंसे रहें. इसके बाद राजद एमएलसी सुनील सिंह खड़े हो गए और शिक्षा मंत्री की जमकर खबर ली. कहा कि हम लोग इस चर्चा को सुनने के लिए यहां बैठे हैं? शिक्षा मंत्री कैसे शिक्षा को आगे ले जाना चाहते हैं, यह बताएं.
इसके बाद सभापति ने कहा कि आपकी भावना का हम सम्मान करते हैं, लेकिन आज इस पर चर्चा नहीं. विपक्ष ने इन विषयों पर चर्चा नहीं की है. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि श्रीरामचरितमानस पर चर्चा जरूरी है. इसके बाद निर्दलीय महेश्वर सिंह ने कहा कि विधानसभा की बात इस सदन में आप ले आए हैं. शिक्षा में कोई जातिवाद नहीं है. अनुसूचित जाति के शिक्षक को भी हम लोग पैर छूकर प्रणाम करते हैं. पूरी रामायण में अच्छाइयां हैं, उसको आप अपना नहीं रहे!
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