गोरखनाथ मंदिर पहुंचा देवशिलाओं का रथ नौ घंटे मंदिर परिसर में रहा. आज सुबह 9:45 बजे अयोध्या धाम के लिए उसकी रवानगी हुई. देवशिलाओं के दर्शन-पूजन के लिए बुधवार को तड़के से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. लोगों दर्शन के साथ-साथ शिलाओं के समक्ष यह आस्था के साथ प्रसाद चढ़ाया कि वह अयोध्या धाम के राम मंदिर में प्रसाद चढ़ा रहे हैं. भगवान राम के साथ बाबा गोरखनाथ के जयकारे का जो सिलसिला शुरू हुआ वह देवशिलाओं की मंदिर परिसर से विदाई तक जारी रहा. संत-महंत और श्रद्धालु भगवान विष्णु के स्वरूप देवशिलाओं का दर्शन करने के लिए भाव-विह्वल दिखे.
रामलला की मूर्ति निर्मित किए जाने के लिए नेपाल के दामोदरकुंड से लाई जा रही 26 टन एवं 14 टन की शालिग्राम शिलायें बुधवार को देर रात रामनगरी पहुंच जाएंगी. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के अनुसार गुरुवार को सुबह 10:30 बजे दोनों शिलायें रामघाट स्थित रामसेवकपुरम परिसर में जनकपुर स्थित जानकी मंदिर के महंत रामतपेश्वरदास की ओर से रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को अर्पित किये जाएंगे.
ये शिलाएं नेपाल सरकार की सहमति और नेपाल की जनता की ओर से रामलला के लिए प्रस्तुत की गई हैं और इन्हें अत्यंत आदर के साथ अयोध्या भेजा जा रहा है. रास्ते में न केवल भारत के लोगों ने, बल्कि नेपाल के भी लोगों ने पवित्र शिला काा जगह-जगह पूजन-अर्चन किया. ट्रस्ट के महासचिव ने शिला अर्पण के अवसर पर संतों-श्रद्धालुओं को रामसेवकपुरम में आमंत्रित किया है.
अयोध्या धाम जाने के लिए जनकपुर होते हुए नेपाल से आ रही देवशिला यात्रा मंगलवार रात 12:40 बजे गोरखनाथ मंदिर पहुंची थी. गुरु गोरक्षनाथ की धरती पर शलिग्राम शिलाओं का पूजन-अर्चन कर भव्य अभिनंदन किया गया. मंत्रोच्चार के बीच जयश्रीराम, जय-जय श्रीराम के जयघोष से मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया. भगवान भगवान बुद्ध से लेकर गुरु गोरक्षनाथ की धरती तक भक्तिभाव से सराबोर लोग मंगलगीत गाते हुए शिला यात्रा पर पुष्प वर्षा करते रहे.
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