लखीमपुर खीरी केस में आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत


सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है. आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. एक साल से ज्यादा से जेल में बंद आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी केस में 8 हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत मिली है. इस दौरान वह दिल्‍ली में नहीं रहेंगे. इसके साथ ही उत्‍तर प्रदेश को भी एक सप्‍ताह में छोड़ने और पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया है.  न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने ये आदेश सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 19 जनवरी को आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत की अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि अगर गवाहों को धमकाया गया, तो बेल केंसिल कर दी जाएगी. अगर यह पाया जाता है कि मिश्रा ट्रायल में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह उनकी जमानत रद्द करने का एक वैध आधार होगा. आशीष मिश्रा कोर्ट को अपनी लोकेशन के बारे में बताएंगे. आशीष मिश्रा या उनके के परिवार के सदस्य द्वारा गवाह को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास से जमानत रद्द हो जाएगी. आशीष मिश्रा ट्रायल मे भाग लेने को छोड़कर यूपी नहीं जाएंगे. साथ ही  उनको अपने स्थान के अधिकार क्षेत्र के थाने में हाजिरी लगानी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट जल्द सुनवाई पूरी करने को कहा है. 14 मार्च को मामले की अगली सुनवाई होगी. आशीष मिश्रा की जमानत आगे बढ़ाई जाए या नहीं ये सुप्रीम कोर्ट 8 हफ्ते बाद तय करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े दूसरे केस में बंद चार किसानों को भी अंतरिम जमानत दे दी है. इस मामले में घटना के बाद पीट-पीटकर हत्या का आरोप है. कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले में भी 8 हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है.

3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में आठ लोगों की मौत होने के बाद हिंसा भड़क गई थी. ये घटना तक हुई, जब किसान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके में दौरे का विरोध कर रहे थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे. इस घटना के बाद, एसयूवी के चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को कथित रूप से गुस्साए किसानों ने पीट-पीट कर मार डाला. हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछले साल 26 जुलाई को आशीष मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. आशीष मिश्रा ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. उच्चतम न्यायालय ने 19 जनवरी को सुनवाई के दौरान कहा था कि एक आरोपी को अनिश्चित काल के लिए कारावास में नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि अपराध साबित ना हुआ हो. हालांकि, शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि यह एक गंभीर और जघन्य अपराध है और जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा. इस मामले में आशीष मिश्रा के अलावा 12 अन्य आरोपियों में अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ ​​सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राणा, शिशु पाल, उल्लास कुमार उर्फ ​​मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं. सभी 13 आरोपी अभी जेल में हैं और इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की दंगा से संबंधित धारा 147 और 148, 149 (गैरकानूनी विधानसभा), 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.

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