बंगाल में 2016 और 2021 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय था। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस तो दूसरी ओर भाजपा और तीसरी ओर वाममोर्चा-कांग्रेस का गठबंधन था। परंतु 2021 विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बावजूद न तो वाममोर्चा और न ही कांग्रेस का खाता खुला और हालात ये हुए कि दोनों ही दलों के अधिकांश प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। इसके बाद से ही वाममोर्चा को नेतृत्व देने वाली माकपा में गठबंधन को लेकर सवाल उठने लगे थे। पिछले माह माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने बंगाल में कांग्रेस से गठबंधन खत्म होने की बात कही थी। इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा था कि यह एतरफा निर्णय है जो सही नहीं है।
इसके बाद भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा तो माकपा ने प्रत्याशी उतार दिया। इसके बाद अब चार सीटों के लिए तीस अक्टूबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव में वाममोर्चा ने कांग्रेस के साथ पूरी तरह से गठबंधन तोड़कर अपने चार प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इसी के साथ एक बार फिर बंगाल में विधानसभा उपचुनाव के साथ चतुष्कोणीय सियासत शुरू हो गई है। तृणमूल ने पहले ही शांतिपुर से ब्रजकिशोर गोस्वामी, दिनहाटा से उदयन गुहा, खड़दह से शोभनदेव चट्टोपाध्याय और गोसाबा से सुब्रत मंडल को मैदान में उतारने की घोषणा कर चुकी है।
वहीं वाममोर्चा ने भी चारों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है। दो सीटों पर माकपा व एक-एक सीट पर वाममोर्चा के घटक दल फारवर्ड ब्लाक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) चुनाव लड़ेगी। दिनहाटा से फारवर्ड ब्लाक से अब्दुर रउफ, गोसाबा से आरएसपी के अनिल चंद्र मंडल, शांतिपुर से माकपा के सौमेन महतो और खड़दह से माकपा के ही देवज्योति दास के नाम की घोषणा की गई है। चूंकि वाममोर्चा और कांग्रेस नेताओं को पता है कि उनका संगठन लगभग खत्म हो चुका है। ऐसे में इन दोनों ही दलों के लिए गठबंधन मजबूरी और जरूरी दोनों है। यही वजह है कि अब भी कांग्रेस उम्मीद लगाए हुए है कि बात बनेगी। कांग्रेस चाहती है कि शांतिपुर से वाममोर्चा अपना उम्मीदवार हटा ले। प्रदेश कांग्रेस की ओर से इस बाबत माकपा को पत्र भी लिखा गया है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि मुकाबला चतुष्कोणीय होता या फिर त्रिकोणीय? क्योंकि भाजपा भी अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।
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