बैड लोन का कारोबार: बैंकों का करोड़ों दबाकर बैठी है कोलकाता की कंपनी ईएमसी लि.


युवा शक्ति ब्यूरो

कोलकाता: खंडहर बताते हैं कि इमारत कभी बुलंद थी - ये कहावत चरितार्थ हो रही है कोलकाता में मुख्यालय पर कभी पूरी दुनिया में कारोबार करने वाली कंपनी ईएमसी लि।की। ईएमसी लिमिटेड 18 मई 1953 को निगमित हुई और इसे सार्वजनिक गैर-सरकारी कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया गया है और यह रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, कोलकाता में पंजीकृत है। इसकी अंतिम अधिकृत शेयर पूंजी 750,000,000 रुपये थी और इसकी चुकता पूंजी 483,350,016 रुपये दर्ज करायी गयी थी।

बैंकों से लोन लेकर बैड लोन का आंकड़ा बढ़ाने में ईएमसी जैसी हजारों कंपनियां हैं। दिसंबर 2020 के अंत तक एनसीएलटी के समक्ष 21,259 से अधिक मामले लंबित थे।

लोकसभा में एक लिखित जवाब में वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी जानकारी दी थी। मंत्री ने कहा था, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, एनसीएलटी और उसकी पीठों में 31।12।2020 तक 21,259 मामले लंबित हैं। एक अन्य लिखित उत्तर में, सीतारमण ने कहा कि ट्रिब्यूनल के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से दिसंबर 2020 की अवधि के दौरान एनसीएलटी के समक्ष दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत 2,278 मामले दर्ज किए गए थे। उन्होंने कहा, साल 2020-21 के दौरान दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत दर्ज किए गए 2,278 मामलों में से 176 मामलों का निपटारा एनसीएलटी ने किया है। ये अलग बात है कि एनसीएलटी  खुद भी समस्याओं से ग्रस्त रहा है। 5 जनवरी, 2020 को आखिरी बार नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का पूर्णकालिक अध्यक्ष था। तब से पांच कार्यवाहक अध्यक्ष हो चुके हैं - उनमें से चार केवल पिछले महीने में ही- क्योंकि पद को सबसे वरिष्ठ व्यक्ति द्वारा भरा जाना था। इस दौरान 20,000 से अधिक मामले न्यायिक प्राधिकरण में जमा हो गए हैं।

आलोच्य कंपनी ईएमसी लिमिटेड की कथा भी काफी लंबी है। इसकी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) आखिरी बार 18 सितंबर 2017 को हुई थी और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के रिकॉर्ड के अनुसार, इसकी बैलेंस शीट आखिरी बार 31 मार्च 2017 को दाखिल की गई थी। उस बैंलेंस शीट की भूमिका में कंपनी ने अपने बड़े इरादों को बड़े ही खूबसूरत लफ्जों में बयां किया था,जिसमें लिखा था- हर प्रतियोगिता के लिए एक ट्रेंडसेटर की आवश्यकता होती है - एक ऐसा नेता जिसके पास देखने की दृष्टि हो, नए क्षितिज, नए लक्ष्यों को प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प और उसे हासिल करने की क्षमता हो, जो आगे की बाधाओं की परवाह किए बिना मैदान में डटे रहे। हम ईएमसी में व्यावसायिक जीवनचक्र के हर पहलू में स्थिरता की सोच को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। आज हालत हैकि नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने इसकी कुल 15 कंपनियों को ही एकीकृत कर दिया है। इसे एमाल्गमेटेड कहते हैं, इस पर कई बैंकों के हजारों करोड़ रुपयों का बकाया है।

इसकी कंपनियों समूह बिजली उत्पादन, इसकी सहायक कंपनियों में हैं एपीएल मेटल्स लिमिटेड, ईएमसी अकादमी लिमिटेड, ईएमसी फोर्जिंग लिमिटेड, ईएमसी ग्रीनको लि। ईएमसी हार्डवेयर लिमिटेड, ईएमसी लिमिटेड, ईएमसी लॉजिसटिक लिमिटेड, ईएमसी ओवरसीज लिमिटेड, ईएमसी टावर लिमिटेड, एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड, किलबर्न इंजीनियरिंग लिमिटेड, मैकलेओड रसेल इंडिया लिमिटेड, मैकनली भारत इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड, विलियमसन फाइनेंसियल  सर्विसेज लिमिटेड और विलियमसन मैगर एंड कंपनी लिमिटेड ईएमसी की ही सहायक कंपनियां हैं।ये कंपनियां इलेक्ट्रिकल लो, मीडियम, हाई और एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन, नईबिजली लाइनों के सर्वेक्षण, आकलन, डिजाइन और कार्य करने के लिए संयंत्रों, बिजली घरों और सब-स्टेशनों की आपूर्ति और निर्माण में लगी रही हैं। ये बांध, पावर स्टेशन और जलविद्युत और थर्मल परियोजनाओं के निर्माण में भी सहायक की भूमिका निभाती रही हैं।

इलेक्ट्रिकल मैन्युफैक्चरिंग सीओ लिमिटेड (ईएमसी) जिसे जून 2013 में बीआईएफआर से शहर आधारित उद्यमियों  एस एल दुगर, आदित्य बागरी, मनोज तोशनीवाल और आर सी बरड़िया के एक समूह द्वारा लिया गया था, ने मार्च 2009 तक 400 करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा। पांच साल से अधिक समय तक बंद रहने के बाद, कंपनी नवंबर 2013 से परिचालन शुरू करने के लिए तैयार हुई। पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी ने बेलेघाटा में ट्रांसमिशन टावर यूनिट का उद्घाटन करते हुए यूनिट को फिर से खोलने का स्वागत किया था और उम्मीद जतायी थी कि देश में बिजली के उपकरणों की भारी मांग के बाद ईएमसी का नया रूप अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बाध्य था।

उन्होंने यह भी कहा था कि यह एक अच्छा संकेत है कि डनलप और ईएमसी जैसी बंद इकाइयाँ फिर से खुल रही हैं। हम नए निवेश और नई इकाइयों के साथ ऐसी और अधिक बंद विनिर्माण इकाइयों को फिर से खोलना चाहते हैं। केवल विनिर्माण ही पर्याप्त रोजगार पैदा कर सकता है, उन्होंने कहा। उसी समारोह में ईएमसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक आदित्य बागड़ी ने कहा था कि कंपनी के पास पहले से ही 180 करोड़ रुपये का ऑर्डर बुक है।

ईएमसी की उत्तर प्रदेश में नैनी और पश्चिम बंगाल में बेलियाघाटा और अगरपाड़ा में इकाइयां थीं। जेसोर रोड में दूसरी इकाई को वैकल्पिक उपयोग में लाने की बात थी । अगरपारा इकाई एल्यूमीनियम और स्टील फोर्जिंग का उत्पादन करनेवाली थी। अन्य यूनिटें दो ट्रांसमिशन टावरों का निर्माण करेंगे। उन्होंने उम्मीद जतायी थी कि ’हम परिचालन के पहले साल में ही 100 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं। 2007-08 में इसके दोगुना होने की संभावना है।’ उनके अनुसार, ईएमसी अपने फोर्जिंग परिचालन के विस्तार के लिए प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ गठजोड़ की तलाश करेगी।

ईएमसी के नए प्रमोटरों ने कहा कि वे ओईएम के आधार पर ऑटो कंपोनेंट्स का निर्माण करने की योजना बना रहे हैं। बागड़ी ने यहां तक कहा कि हमने टू व्हीलर कंपनियों के लिए ओईएम जॉब करना शुरू कर दिया है।
कंपनी को पहले ही तमिलनाडु और राजस्थान राज्यों में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से तीन 400 केवी पावर ट्रांसमिशन लाइन टर्नकी अनुबंध मिल चुके थे।

ठेके 140 करोड़ रुपये के थे। कंपनी पीजीसीआईएल से 80 करोड़ रुपये के ईएचवी 765 केवी पावर ट्रांसमिशन लाइन ऑर्डर की भी उम्मीद कर रही थी।

वित्तीय 2011-12 ईएमसी लिमिटेड के लिए दो कारणों से एक निर्णायक वर्ष था। इस साल कंपनी ने बेहतर प्रदर्शन किया। यह विविधीकरण की कंपनी रणनीति और लाभदायक विकास पर ध्यान केंद्रित करने का फल था। कंपनी को उम्मीद थी कि यह कामयाबी भविष्य में लाभांश देगी। हालांकि एक साल बाद वैश्विक मंदी के संदर्भ में चुनौतियां आने लगीं। 

घरेलू अर्थव्यवस्था नीतिगत ठहराव के कगार पर पहुंचीं, शासन व्यवस्था बुनियादी ढांचे के खर्च के प्रति सतर्क हो गयी, भूमि अधिग्रहण और अन्य बाधाएं भी आने लगीं। कंपनी ने अपनी अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को एक मजबूत शुरुआत के साथ नवीनीकृत किया। अफ्रीका में कुछ ऑर्डर प्राप्त करके टी एंड डी निर्यात बढ़ा। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा संघ (आईईए) ने उम्मीद जतायी कि  विश्व में ऊर्जा खपत 15,665 टेरावाट से बढ़कर 28,141 टेरावाट हो जाना चाहिए इसलिए नये इंटरकनेक्शन और ट्रांसमिशन परियोजनाएं लगेंगी और कंपनी के विकास को गति मिलेगी। यह उम्मीद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अगले 5-7 वर्षों के लिए थी।

आज हालत यह है कि ईएमसी  6,000 करोड़ रुपये के कर्ज के साथ दिवालिया होने का सामना कर रही है। ईएमसी का बकाया ऋण स्तर 6,309 करोड़ रुपये है, जिसमें एसबीआई  के पास 24 उधारदाताओं के एक संघ के सदस्यों के बीच 1,675 करोड़ रुपये का उच्चतम जोखिम वाला कर्ज है। उस समय मनोज तोशनीवाल परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी का फोरेंसिक ऑडिट चल रहा था।

ईएमसी तब पहले खबरों में आई, जब इसे खेतान परिवार के स्वामित्व वाली मैकनेली भारत इंजीनियरिंग को बचाने के लिए एक रणनीतिक निवेशक के रूप में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में 2016 में इस सौदे को रद्द कर दिया गया था। बिजली और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, दोनों कंपनियों को अब कठिनाइयों का सामना करना पड़ा  और अब उनके अस्तित्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

खेतानों और तोशनीवाल के बीच हुए सौदे के अनुसार, ईएमसी ने  ने 2015 में मैकनेली भारत में 12।32% हिस्सेदारी खरीदी और उसके बाद अतिरिक्त 19।77% हिस्सेदारी हासिल करने का सौदा किया। हालाँकि, दोनों समूहों के व्यवसायों के विलय में पर्याप्त तालमेल या लाभ खोजने में विफलता के कारण 2016 में समझौते को रद्द कर दिया गया था। 2015-16 तक, ईएमसी  ने बिजली क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति जारी रखी, जॉर्जिया, तंजानिया जैसे देशों में पारेषण परियोजनाओं की बोली जीत ली और स्पेन में एक कंपनी का अधिग्रहण भी किया, जिसे रेग्या  कहा जाता है जो बिजली परियोजनाओं में विशिष्ट है।

उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक बिजली क्षेत्र की गतिशीलता में बदलाव और इसकी प्राप्तियों में वृद्धि के साथ ईएमसी की किस्मत वित्त वर्ष 2017 में घटने लगी।

मैकनेली भारत के संपर्क में आने के बाद समस्या और बढ़ गई थी। वित्त वर्ष 2016 के दौरान, ईएमसी ने मैकनेली भारत इंजीनियरिंग में निवेश किया, जो एक बड़ी घाटे में चल रही कंपनी थी। निवेश को 143 करोड़ रुपये के अतिरिक्त उधार के माध्यम से वित्त पोषित किया जाना था। उच्च ऋण स्तर उस समय के दौरान खर्च किया गया था जब प्रबंधन के समय को मौजूदा और के बीच विभाजित किया गया था। मार्च 2017 में कंपनी को डिफॉल्ट ग्रेड में डाउनग्रेड करते हुए इंडिया रेटिंग्स ने कहा, नए अधिग्रहीत व्यवसाय के कारण नकदी प्रवाह की कमजोर निगरानी और ऋण चुकाने में काफी अनियमितताएं हुईं।

नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने 27 अक्टूबर 2017 को ईएमसी लिमिटेड के लेनदारों और असुरक्षित लेनदारों और के इक्विटी शेयरधारकों इक्विटी शेयरधारकों की एक बैठ आयोजित की,जिसें ईएमसी टावर लिमिटेड, ईएमसी फोर्जिंग लिमिटेड, ईएमसी हार्डवेयर लिमिटेड, ईनपी मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड, अर्नमोर फिनकॉन प्राइवेट लिमिटेड और ईएमसी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की बैठक आजित की जिसमें 1. त्रिनेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड 2. शारदा कॉमर्स प्राइवेट लि. 3. एमकेएन इन्वेस्टमेंट प्राइवेट, 4. तमकोर इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लि. 5. सुभाष इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड 6. स्टेटफील्ड ट्रेडलिंक प्राइवेट, लिमिटेड , 7. मेटलिंड प्राइवेट लिमिटेड 8. वाईएमएस फाइनेंस प्राइवेट लि., 9. मनोज तोशनीवाल 10. रमेश चंद्र बरड़िया 11. विनोद दुग्गड़ ,12. शीतल दुग्गड़ 13. कुसुम देवी दुग्गड़ 14. श्री कुमार तोशनीवाल 15. सुनीता बरड़िया 16. सिद्धार्थ बरड़िया  ने भागीदारी की।

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