कोरोना वायरस के मूल का पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को एक नई समिति गठित की। इसके सदस्यों के रूप में दुनियाभर के 26 विज्ञानियों के नाम प्रस्तावित किए हैं। इनमें चीन की वुहान लैब की जांच करने वाली पहली टीम के सदस्य भी शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि सार्स-कोव-2 वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए यह आखिरी मौका हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने चीन से भी वायरस से जुड़े शुरुआती आंकड़े मुहैया कराने को कहा है। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने कहा कि महामारी से जुड़े शुरुआती आंकड़े नहीं मिलने से पहली जांच प्रभावित हुई।
डब्ल्यूएचओ ने समिति में अपनी उस पहली जांच टीम के चार सदस्यों को भी रखा है, जो सार्स-कोव-2 कोरोना वायरस के स्त्रोत का पता लगाने के लिए चीन के वुहान लैब की जांच कर चुकी है। इनमें मैरियन कोपमैन, थिया फिशर, हंग गुयेन और चीनी पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञ यांग युंगुई शामिल हैं। टेड्रोस ने कहा कि भविष्य में संभावित वैश्विक महामारी की रोकथाम और उसके लिए जरूरी विशेषज्ञता के लिए यह समझना आवश्यक है कि नए रोगाणु कहां से आते हैं। उन्होंने कहा कि इस समूह के लिए दुनिया भर से क्षमतावान विशेषज्ञों के चयन से वह खुश हैं।
बता दें कि अमेरिका और रूस समेत कई देशों में फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण हालात चिंताजनक बने हुए हैं। महामारी के बढ़ते खतरे के बीच बूस्टर डोज (Booster Dose) को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। कई देश कोरोन वैक्सीन की बूस्टर डोज की आवश्यकता की सिफारिश कर चुके हैं। वहीं, अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इसकी आवश्यकता को लेकर एक बैठक करने जा रहा है। 11 नवंबर को होने वाली इस बैठक में एक्सपर्ट्स का एक पैनल बूस्टर डोज की आवश्यकता को लेकर चर्चा करेगा।
समाचार एजेंसी स्पुतनिक के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के टीकाकरण, टीके और जैविक विभाग के निदेशक केट ओ'ब्रायन ने सोमवार को बताया कि वैज्ञानिक सलाहकार समूह (SAGE) 11 नवंबर को COVID-19 बूस्टर शाट्स की आवश्यकता पर चर्चा करेगा।
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