मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 15 वें वित्त आयोग द्वारा कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए 2020-21 में झारखंड को आवंटित 312 करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में गत छह सितंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। प्रेषित पत्र में सीएम ने कहा है कि कुपोषण की गंभीर समस्या को देखते हुए पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न राज्यों के लिए सामान्य आवंटन के अतिरिक्त 7,735 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटन देने की अनुशंसा की गई है। आयोग ने इस कार्य के लिए झारखंड को अतिरिक्त 312 करोड़ रुपये आवंटित करने की अनुशंसा की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में बहुतायत में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के सदस्य निवास करते हैं एवं कुपोषण का सीधा जुड़ाव इस समुदाय में देखा गया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से झारखंड की परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा है कि वह राज्य के समस्त नागरिकों की ओर से आग्रह करते हैं कि झारखंड के लिए वर्ष 2020-21 के लिए अनुशंसित 312 करोड़ रुपये एवं आगे के वर्षों के लिए राशि विमुक्त करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को निर्देशित करने की कृपा करें।
कुपोषण की स्थिति और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी दी जानकारी
मुख्यमंत्री ने पत्र के जरिए बताया है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में झारखंड के लिए कुपोषण की जो तस्वीर सामने आई है, उसके तहत 0 से 6 वर्ष के बच्चों में प्रत्येक दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है। 45 प्रतिशत बच्चे मानक से कम वजन के हैं। 23 प्रतिशत बच्चे दुबले-पतले होते हैं। 11.3 प्रतिशत बच्चे अत्यंत कुपोषित होते हैं। 40.3 प्रतिशत बच्चे अल्प विकसित हैं। इस समस्या को राज्य सरकार ने गंभीरता से लेते हुए अपनी प्राथमिकता में रखा है और भारत सरकार के कार्यक्रमों के अलावा अपने सीमित संसाधनों से कुपोषण की समस्या से लड़ने का निर्णय लिया है।
राज्य सरकार इसके लिए अपने संसाधनों से तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पूरक पोषाहार कार्यक्रम के अतिरिक्त बच्चों को अंडा एवं अन्य बच्चों को समकक्ष प्रोटीनयुक्त भोजन देने पर विचार कर रही है। ऐसे में केंद्र सरकार अगर अनुशंसित 312 करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करती है, तो कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार को काफी सहयोग मिलेगा।
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