भवानीपुर उपुचनाव को लेकर दायर की गई याचिका पर आज फिर सुनवाई होगी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को 24 घंटे में हलफनामा जमा करने को कहा था। अदालत ने आयोग से पूछा है कि चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में पैराग्राफ सात और आठ किन परिस्थितियों में दिए? भवानीपुर उपचुनाव नहीं होने पर संवैधानिक संकट के बारे में किसने लिखा, आयोग या मुख्य सचिव ने? उपचुनाव में संवैधानिक दायित्व कैसे हो सकता है? हलफनामा जमा कर इन बिंदुओं को स्पष्ट करने को कहा गया है।
गौरतलब है कि भवानीपुर में 30 सितंबर को उपचुनाव होना है। दरअसल बंगाल की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव और दो पर आम चुनाव होना था लेकिन आयोग ने सिर्फ भवानीपुर सीट पर उपचुनाव और मुर्शिदाबाद की दो सीटों शमशेरगंज और जंगीपुर में चुनाव कराने की घोषणा की है। इसी को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें सवाल किया गया है कि सिर्फ भवानीपुर में उपचुनाव क्यों कराए जा रहे हैं जबकि चार और सीटें रिक्त हैं। उसी पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को 24 घंटे के भीतर हलफनामा जमा देने का निर्देश दिया है।
पिछले विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से पराजित होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भवानीपुर से उपचुनाव लड़ रही हैं। उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए पांच नवंबर के पहले विधासभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना होगा। यदि वह र्निवाचित नहीं होती हैं तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाएगी। इस बाबत ममता ने खुद कहा था कि उन्हें वोट दें। यदि वह चुनाव नहीं जीतती हैं तो वह मुख्यमंत्री नहीं रह पाएंगी। भवानीपुर उपचुनाव को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की पीठ सुनवाई कर रही है।
गौरतलब है कि बंगाल में कोरोना की स्थिति में सुधार का हवाला देते हुए तृणमूल ने उपचुनाव की मांग को लेकर आयोग का दरवाजा खटखटाया था। मुख्य सचिव ने भी इस बाबत आयोग को पत्र लिखा था। उसके बाद आयोग ने मुर्शिदाबाद की दो विधानसभा सीटों जंगीपुर और शमशेरगंज में चुनाव और कोलकाता की भवानीपुर सीट पर उपचुनाव की तारीख की घोषणा की थी। इसके बाद सायन बनर्जी नामक अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
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