बिहार चुनाव में जीत मिलने से ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी काफी उत्साहित थे और बंगाल से लेकर उत्तर प्रदेश तक चुनाव लडऩे की बातें कह कर ताल ठोंक रहे थे। उसी अनुसार जब ओवैसी जनवरी के शुरुआत में ही बंगाल पहुंचे और सीधे फुरफुरा शरीफ जाकर पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मिले तो लगा कि वह बंगाल में चुनाव लडऩे को लेकर काफी गंभीर हैं। इसके बाद उनकी एक सभा भी कोलकाता के मुस्लिम बहुल मुटियाबुर्ज इलाके में तय की गई, लेकिन अनुमति नहीं मिली। इसके बाद बंगाल के चुनावी सीन से ओवैसी ऐसे गायब हुए कि उनका नाम भी नहीं सुनाई दे रहा है।
इस बीच चुनाव आयोग में एआइएमआइएम की ओर से नौ स्टार प्रचारों की एक सूची सौंपी गई है। जिसमें तारीख सात लिखा है लेकिन माह गायब है। पहले दो चरणों के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। तीसरे और चौथे चरण के लिए भी नामांकन भरने का कार्य शुरू हो चुका है। परंतु, ओवैसी और उनकी पार्टी के किसी नेता की सभा या फिर रैली नहीं हुई है। हालांकि, पीरजादा अब्बास सिद्दीकी अपनी पार्टी बनाकर कांग्रेस-वाममोर्चा के साथ गठबंधन में जरूर शामिल हो गए हैं।
अब तक ओवैसी की एक भी रैली नहीं
बताते चलें कि बिहार चुनाव में सीमांचल की 40 सीटों पर जीत दर्ज करने के इरादे से उतरे असदुद्दीन ओवैसी ने चुनावी प्रचार में एलान किया था कि बिहार में बदलाव होगा। बिहार में उनकी पार्टी नया इतिहास रचेगी और भाजपा को केंद्र से बेदखल करने की कहानी लिखी जाएगी। चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटें जीती। आज बंगाल में असदुद्दीन ओवैसी खामोश हैं। बिहार में असदुद्दीन ओवैसी कहते थे यहां से परिवर्तन का चक्का घूमते हुए बंगाल पहुंचेगा और चुनाव नतीजों से केंद्र की मोदी सरकार पर 2024 में बड़ा असर होगा।
बंगाल चुनाव की बात करें तो पहले चरण का मतदान 27 मार्च को है। तृणमूल, भाजपा, वाम-कांग्रेस-अब्बास गठबंधन ने चुनाव प्रचार में ताकत झोंक रखी है। बंगाल में करीब 30 फीसद मुस्लिम आवादी पर नजर गड़ाए असदुद्दीन ओवैसी कई मौकों पर तृणमूल से लेकर भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़े नुकसान की बात करते दिखे थे। लेकिन बंगाल में एआइएमआइएम में अहम भूमिका निभाने वाले जमीरुल हसन का ओवैसी से अलगाव हो गया। वहीं पहले ही कई नेता तृणमूल में शामिल हो गए। आज हालात यह है कि दूर-दूर तक बंगाल चुनाव में ओवैसी का कुछ अता-पता नहीं है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि कहीं अब्बास की पीछे तो ओवैसी खड़ा नहीं है।
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