फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली कल गुरुवार (10 सितंबर) को अंबाला में राफेल जेट के औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किए जाने को लेकर आयोजित समारोह में शामिल होंगे. पांच फ्रेंच राफेल लड़ाकू जेट विमानों का पहला जत्था अंबाला वायुसेना अड्डे में तैनात है.
फ्रेंच रक्षा मंत्री के साथ रक्षा विनिर्माण उद्योग के प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल के भी आने की संभावना है. साथ ही उनकी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक अलग बैठक भी होने की संभावना है.
शुरुआती पांच जेट विमानों में तीन एकल सीट वाले और दो ट्विन सीटर जेट शामिल हैं जिन्होंने 29 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात में ठहरते हुए फ्रांस के मेरिगेनैक से उड़ान भरा था. जिन सात पायलटों ने जेट विमान उड़ाए, उनका भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने स्वागत किया था, क्योंकि वे अंबाला में उतरे थे.
राफेल जेट विमान ने फ्रांस के दक्षिणी क्षेत्र मेरिगेनैक से अंबाला तक के लिए 8,500 किलोमीटर की उड़ान भरने के दौरान संयुक्त अरब अमीरात में एक रात गुजारी थी.
राफेल का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयर बेस से संचालित होगा क्योंकि यह रणनीतिक रूप से अहम जगह पर स्थित है, साथ ही यहां पर जगुआर और मिग 21 भी हैं.
भारतीय बेड़े में 36 राफेल
अगले दो सालों में दो स्क्वाड्रन में शामिल 36 राफेल जेट भारतीय वायु सेना का हिस्सा होंगे. पहला स्क्वाड्रन पश्चिमी क्षेत्र के अंबाला से चालू होगा, जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल में हाशिमारा में होगा. चीनी खतरे का मुकाबला करने के लिए इसकी अहम भूमिका रहेगी.
2016 में भारत सरकार ने फ्रांस के साथ एक समझौते के तहत 59,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल खरीदने का फैसला किया था. हालांकि इस सौदे पर भारत में विपक्ष की ओर से एक राजनीतिक तूफान खड़ा किया गया. विपक्ष की ओर से सरकार पर आरोप लगाए गए कि सरकार ने बेहद महंगा सौदा किया है.
4.5 जेनरेशन वाले राफेल को दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है. यह ‘बहुआयामी’ विमान है, जो एक ही उड़ान में कई अभियानों को अंजाम दे सकता है. अपनी एवियॉनिक्स, राडार और हथियार प्रणालियों के साथ राफेल दक्षिण एशिया में सबसे शक्तिशाली विमान है. राफेल को एक ओमनी रोल विमान माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह एक साथ एक ही समय में कम से कम चार मिशन को अंजाम दे सकता है.
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