बिहार में किसान सीखेंगे खेती के गुर, सात हजार गांवों में सरकार अपनी देखरेख में कराएगी खेती


बिहार में स्वायल हेल्थ कार्ड के आधार पर खेती का गुर किसानों को सिखाया जाएगा। इसके लिए 6957 गांवों में सरकार की देखरेख में स्वायल हेल्थ कार्ड की अनुशंसाओं के आधार पर खेती होगी। 

प्रदर्शित करने के लिए इस खेती से किसानों को प्रैक्टिकल जानकारी दी जाएगी। साथ ही मिट्टी संकलित करने का तरीका भी उन्हें सिखाया जाएगा। इस काम में ग्रामीण विकास विभाग में चयनित ‘किसान सखियों’ को भी लगाया जाएगा। उन सखियों को कृषि विभाग एक हजार रुपये प्रति महीना देगा। 

राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड दिया है, लेकिन किसान अब भी उसकी सलाह के आधार पर खाद (इनपुट) आदि का उपयोग नहीं करते हैं। जहां नाइट्रोजन की जरूरत नहीं है वहां यूरिया का छिड़काव करते हैं। लिहाजा सरकार ने इस बार फैसला किया है कि बंदी की इस अवधि का उपयोग कर किसानों को खेती की सीख दी जाए। 

योजना के लिए चयनित 6957 गांवों में अधिकारियों की देखरेख में किसान खुद खेती करेंगे। हर गांव में कम से कम एक हेक्टेयर में खेती होगी। खरीफ में लगभग दो हजार गांवों में इसकी शुरुआत की गई है। शेष गांवों में रबी में खेती होगी। प्लॉट का चयन मिट्टी की संरचना के आधार पर किया जाएगा। स्वायल हेल्थ कार्ड में जिस केमिकल की कमी मिट्टी में दिखाई गई है वहां उसी केमिकल वाली खाद का उपयोग होगा। किसानों को बताया जाएगा कि संतुलित खाद का उपयोग लाभदायक होता है। 

दरअसल कोरोना में सरकार ने मिट्टी की जांच और स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने का व्यापक अभियान बंद कर दिया है। मिट्टी का नमूना लेने और उसके संकलन के दौरान कोराना के विस्तार की आशंका है। लिहाजा इस बार किसानों को मिट्टी का नमूना लेने के साथ स्वायल हेल्थ कार्ड में दी गई सलाह के अनुसार खेती करने की सीख दी जाएगी। लेकिन इस अभियान में जो किसान अधिकारियों की देखरेख में मिट्टी का संकलन करेंगे उनको स्वायल हेल्थ कार्ड भी बनाकर दिया जाएगा। 

योजना एक नजर में 
6957 गांवों में होगा डिमॉन्स्ट्रेशन 
01 एकड़ होगी हर गांव में खेती 
2000 हजार गांव में शुरू हुई योजना 
38 जिलों के हैं चयनित गांव

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