चीन में ही खलने लगे शी जिनपिंग, पूर्व सहयोगी ने कहा- बेलगाम सत्ता ने दुनिया का दुश्मन बना दिया


चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने ही देश में अपने ही पार्टी के अंदर विरोध का सामना कर पड़ा है. सेंट्रल पार्टी स्कूल से निलंबित की गईं प्रोफेसर काई शिया ने कहा है कि राष्ट्रपति के हाथों में बेलगाम सत्ता रहने से चीन दुनिया का दुश्मन बन गया है.

चीन के धनाढ्य वर्गों और सीनियर अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए बने सेंट्रल पार्टी स्कूल की पूर्व प्रोफेसर ने शी जिनपिंग पर आरोप लगाया है कि उनकी नीतियां देश को खत्म कर रही हैं. चीन के राष्ट्रपति सेंट्रल पार्टी स्कूल के अध्यक्ष होते हैं. ऐसे में इसी स्कूल की प्रोफेसर का राष्ट्रपति की आलोचना करना काफी अहम है.

आलोचना करने पर प्रोफेसर निष्कासित

बता दें कि काई शिया को सोमवार को कम्युनिस्ट पार्टी आफ चीन से निष्कासित कर दिया गया है. इसके पीछे एक कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग है, जो कि माना जा रहा है कि काई शिया का है. इस ऑडियो रिकॉर्डिंग में काई शिया ने शी जिनपिंग की आलोचना की है.

चीन छोड़ने पर मजबूर हुईं

प्रोफेसर काई ने अपनी सुरक्षा के ख्याल से चीन को छोड़ दिया है. सेंट्रल पार्टी स्कूल ने कहा कि उनकी टिप्पणी ने देश की साख को नुकसान पहुंचाया और इससे गंभीर राजनीतिक समस्याएं पैदा हुईं.

अंग्रेजी अखबार द गार्जियन से उन्होंने कहा कि वे देश से निर्वासित होकर खुश हैं. काई शिया ने कहा, " शी के शासनकाल में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन के लिए प्रगति की ताकत नहीं रह गई है, वास्तव में ये लोग चीन के विकास के लिए बाधक बन गए हैं." उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि सिर्फ मैं ही नहीं हूं जो पार्टी छोड़ना चाहती हूं, कई लोग हैं जो पार्टी छोड़ना चाहेंगे. मैंने कई साल पहले पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था जब मेरे बोलने के लिए जगह नहीं बची थी."

चीन को दुनिया का दुश्मन बना दिया

पब्लिक पॉलिसी की एक्सपर्ट काई शिया ने कहा कि शी ने अपनी नीतियों से चीन को पूरी दुनिया क दुश्मन बना दिया है. बता दें कि चीन में सुप्रीम लीडर की तनिक भी आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाती है. काई शिया ने कहा कि कम्युनिष्ट पार्टी में कई असंतुष्ट स्वर लेकिन वे बदले की कार्रवाई के डर से, भष्ट्राचार के झूठे आरोपों से बचने के डर से आवाज नहीं उठाते हैं.

सारे फैसले खुद ले रहे

शिया काई कहती हैं कि ऐसे वातारण में जब शी जिनपिंग खुद सारे फैसले ले रहे हैं तो गलतियां अनिवार्य जैसे हो गई हैं. उन्होंने कोविड-19 का उदाहरण देते हुए कहा कि शी जिनपिंग को 7 जनवरी को ही कोरोना संक्रमण की जानकारी मिली थी, लेकिन उन्होंने इसकी सार्वजनिक घोषणा 20 जनवरी को की. अगर उन्हें 7 जनवरी को जानकारी मिली थी तो वे 20 तक क्यों इंतजार कर रहे थे.

काई कहती हैं कि उन्होंने 2016 से ही पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था, जब पार्टी संवाद की जगह नाटकीय रूप से कम हो गई थी.

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