प्राइवेट ट्रेनों में यात्रियों को मिलेंंगी एयरलाइन जैसी सुविधा, रेलवे के साथ शेयर होगा प्रॉफिट


प्राइवेट ट्रेन में सफर के दौरान उसमें एयरलाइन की तरह यात्रियों को पसंदीदा सीट, सामान और यात्रा के दौरान सेवाओं के लिए भुगतान करना पड़ सकता है। यह ग्रॉस रेवेन्यू का हिस्सा होगा जिसे संबंधित निजी इकाई को रेलवे के साथ साझा करना होगा। रेलवे ने हाल ही में अनुरोध प्रस्ताव (आरएफक्यू) जारी कर निजी इकाइयों को उसके नेटवर्क पर यात्री ट्रेनें चलाने के लिए आमंत्रित किया है। 

अधिकारियों के अनुसार इन सेवाओं के लिए यात्रियों से राशि लेने के बारे में निर्णय निजी इकाइयों को करना है। दस्तावेज में कहा गया है कि अपनी वित्तीय क्षमता के अनुसार बोलीदाताओं को परियोजना लेने के लिए अनुरोध प्रस्ताव में सकल राजस्व में हिस्सेदारी की पेशकश करनी होगी। अनुरोध प्रस्ताव के अनुसार रेलवे ने निजी इकाइयों को यात्रियों से किराया वसूलने को लेकर आजादी देगी। साथ ही वे राजस्व सृजित करने के लिए नए विकल्प पर भी विचार कर सकते हैं। 

आरएफक्यू में कहा गया है, 'ग्रॉस रेवेन्यू की परिभाषा पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। वैसे इसमें निम्न बातें शामिल हो सकती है। यात्रियों या किसी तीसरे पक्ष की ओर से यात्रियों को सेवा देने के एवज में संबंधित कंपनी को प्राप्त राशि इसके अंतर्गत आएगा। इसमें टिकट पर किराया राशि, पसंदीदा सीट का विकल्प, सामान/पार्सल/कार्गो (अगर टिकट किराया में शामिल नहीं है) के लिए शुल्क शामिल होगा।' 

दस्तावेज के अनुसार, 'यात्रा के दौरान सेवाओं जैसे खान-पान, बिछावन, मांग पर उपलब्ध करायी गयी कोई सामग्री, वाई-फाई (अगर टिकट किराया में शामिल नहीं है)। इसके अलावा विज्ञापन, ब्रांडिंग जैसी चीजों से प्राप्त राशि भी सकल राजस्व का हिस्सा होगी।' रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने टिकट किराया महंगा होने की आशंका को खारिज करते हुए कहा था कि ये बाजार और प्रतिस्पर्धी कीमत पर आधारित होगा। 

उल्लेखनीय है कि रेलवे ने पहली बार देश भर में 109 मार्गों पर 151 आधुनिक यात्री ट्रेनें चलाने को लेकर निजी कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं। इस परियोजना में निजी क्षेत्र से करीब 30,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है। 

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