जीत के बाद भी राज्यसभा में बहुमत से दूर बीजेपी, तीन दशक से उच्च सदन की यही स्थिति


राज्यसभा चुनाव में बीजेपी एक के बाद एक लगातार जीत दर्ज करती जा रही है. इसके बावजूद बीजेपी ही नहीं बल्कि एनडीए गठबंधन राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े को हासिल नहीं कर सका है. 8 राज्यों की 19 राज्यसभा सीटों पर शुक्रवार को आए चुनाव नतीजे में बीजेपी को 8 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली हैं जबकि बाकी 7 सीटें क्षेत्रीय दलों के खाते में गई हैं. इस तरह से बीजेपी को उच्च सदन में बहुमत हासिल करने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि, 1990 के बाद से उच्च सदन में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका है.

बता दें कि 10 राज्यों की 24 सीटों पर 19 जून को चुनाव होने थे, लेकिन कर्नाटक की चार और अरुणाचल प्रदेश की एक सीट पर पहले ही निर्विरोध सदस्य चुन लिए गए थे, जिनमें तीन सीटें बीजेपी को और कांग्रेस-जेडीएस को एक-एक सीट मिली थी. इस तरह से बाकी बची 19 सीटों पर शुक्रवार को चुनाव हुए. इनमें बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी सीटें काफी हद तक बचाने में सफल रही हैं.

राज्यसभा में बहुमत से 22 कदम दूर एनडीए

राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, ऐसे में उच्च सदन में बहुमत का आंकड़ा 123 होता है. राज्यसभा की 24 सीटों के चुनाव में से बीजेपी को 11 सीटों पर जीत मिली, जिसके दम पर उच्च सदन में पार्टी का आंकड़ा 86 पर पहुंच गया है. वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के सदस्यों की संख्या राज्यसभा में अब 101 हो गई है. वहीं, कांग्रेस को पांच सीटें मिली हैं, जिन्हें मिलाकर यूपीए का आंकड़ा 65 पर पहुंच गया है. इस तरह से एनडीए राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े से 22 सदस्य कम हैं.

गौरतलब है कि इस साल राज्यसभा की 73 सीटों के लिए चुनाव प्रस्तावित थे, इनमें से 18 राज्यों से राज्यसभा की 55 सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने थे, लेकिन मतदान से ठीक दो दिन पहले चुनाव आयोग ने कोरोना वायरस संक्रमण का हवाला देते हुए इसे टाल दिया था. हालांकि राज्यसभा की 55 में से 37 सीटों का चुनाव निर्विरोध हो चुका था और राष्ट्रपति के मनोनयन कोटे की खाली हुई एक सीट भी सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के मनोनयन से भरी जा चुकी थी. इस बीच, कर्नाटक की रिक्त हुई चार सीटों और अरुणाचल की एक सीट पर निर्विरोध सांसद चुन लिए गए थे.

राज्यसभा की जिन 18 सीटों के लिए चुनाव कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से बीते मार्च महीने में टाल दिए गए थे, उन सभी सीटों के लिए शुक्रवार को चुनाव हुए हैं. इनमें गुजरात और आंध्र प्रदेश की 4-4, मध्य प्रदेश और राजस्थान की 3-3, झारखंड की 2 तथा मणिपुर और मेघालय की 1-1 सीटें हैं. इसके अलावा मिजोरम की एक सीट पर भी चुनाव हुए हैं. राज्यसभा के इन चुनाव नतीजे के बाद यह पहली बार है जब राज्यसभा में एनडीए की संख्या 100 के ऊपर पहुंची है.

तीन दशक से राज्यसभा में बहुमत नहीं

राज्यसभा में बहुमत का जहां सवाल है, पिछले तीन दशक से किसी भी दल को बहुमत नहीं मिल सका है. केंद्र में भले ही किसी भी पार्टी की सरकार रही है, लेकिन राज्यसभा में उसके पास बहुमत का आंकड़ा नहीं रहा है. हालांकि, 1990 के पहले तक इस सदन में कांग्रेस का बहुमत होता था. अधिकांश राज्यों में उसकी सरकारें थीं, लेकिन इसके बाद से स्थिति बिल्कुल बदल गई.

उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे बड़े राज्य उसके हाथ से निकल गए, जहां अभी तक उसकी वापसी नहीं हो सकी है. महाराष्ट्र में गिरते जनाधार से विधानसभा में उसका संख्याबल कम हो गया है. दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उसके हाथ से पूरी तरह निकल चुके हैं. वहीं, इन तीन दशकों के दौरान बीजेपी भी इन राज्यों में अपना जनाधार स्थिर नहीं रख पाई, जिसकी वजह से राज्यसभा में अपनी ताकत का इजाफा नहीं कर सकी.

राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के चलते 1989 से लेकर आज तक सभी केंद्र सरकारों को उच्च सदन में महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराने में छोटे-छोटे और अपने सहयोगी दलों को साधना पड़ा है या विपक्षी दलों के साथ मिलकर आम सहमति बनानी पड़ी है. हालांकि इस स्थिति से बीजेपी की सरकार धीरे-धीरे उबर रही है, खासकर केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद उसकी ताकत में इजाफा हुआ है, लेकिन अभी भी बहुमत के लिए इंतजार करना पड़ेगा.

बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को यदि बीजू जनता दल (बीजेडी), ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दलों का समर्थन मिलता है तो उसके पास बहुमत का पर्याप्त आंकड़ा है और वह संसद में महत्वपूर्ण कानून बनाने की स्थिति में आ जाएगा.


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