लॉकडाउन में अनोखी शादी : न घोड़ी ना बैण्डबाजा, अनिता को ब्याह लाए संतोष दूल्हेराजा


युवा शक्ति संवाददाता
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हावड़ा : हावड़ा के गोलाबाड़ी थाने इलाके के  जेलियापाड़ा की दुल्हन और इसी थाना इलाके के माधव घोष रोड के दूल्हे ने बचाए परिवार के लाखों रुपए, सादगी तरीके से 5- 5 परिजनों के बीच रचाई शादी। लॉकडाउन की बंदिशों ने बदले कई रीति-रिवाज, पड़ोसी को भी विवाह का नहीं चला पता।
विवाह समारोह की चकाचौंध में लाखों रुपए फूंक दिए जाते हैं। शान- शौकत के आगे रुपए कोई मायने नहीं रखते। विवाह के एक माह पहले से तैयारियां शुरू हो जाती है, लेकिन उत्तर हावड़ा में सोमवार को एक अनोखी शादी काफी चर्चित रही। इस दौरान ना कोई बारात निकली और बैण्डबाजे की स्वर लहरियां भी नहीं गूंजी। वर घोड़ी पर सवार होकर तोरण मारने भी नहीं गया। बस एक- दो घंटे में चट मंगणी-चट ब्याह हो गया। जी. हाँ। हम बात कर रहे हैं जेलियापाड़ा स्थित पानी टंकी के शिव मंदिर में पूरी सादगी के साथ हुई एक विवाह की। दुल्हा थे संतोष सिंह और दुल्हन बनी थी अनिता सिंह। इस शादी में केवल दुल्हन की माता, तीनों भाई - भाभियां, दूल्हे के पिता और उनके चाचा के लड़के सहित कुल 5- 5 लोग ही उपस्थित रहे। इस दौरान कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के सभी नियमों की पालना की गई।

दरअसल, संतोष सिंह व अनिता की शादी लॉकडाउन से पहले ही तय हो गई थी। ऐसे में विवाह समारोह स्थल, हलवाई, कैटरिंग, बैण्डबाजा व विद्युत डेकोरेशन सहित अन्य की बुकिंग हो गई थी, लेकिन सभी को निरस्त करना पड़ा।

थाने से ली थी अनुमति : विवाह से पहले ही दुल्हन के भाई ने गोलाबाड़ी थाने में इस विवाद संबंधी जानकारी देकर अनुमति ले ली थी। इस विवाह समारोह में उत्तर हावड़ा के विधायक व मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला व तृणमूल नेता संतोष सिंह ने पूरी मदद की।

विवाह की खास बात यह रही कि दुल्हा-दुल्हन के निवास में ही एक दिन पहले सभी रस्में पूरी की गई थी। मेंहदी व हल्दी की परम्परा निभाई गई। इस बीच न कोई ढोल- ढमाके बजे और न ही मांगलिक गीत गूंजे। सोमवार को मात्र तीन घंटे में विवाह संपन्न हो गया। सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए मुंह पर मास्क लगाए। अग्नि के समक्ष शिव मंदिर के पंडित जी ने सात फेरे कराए और वर-वधु को जीवन साथी बना दिया।

सपने में भी नहीं सोचा था :
दुल्हन के भाई नरेश सिंह ने बताया कि बहन के विवाह को लेकर कई सपने संजोए थे। विवाह में बैण्डबाजा बजेगा। हजारों लोग भोज समारोह में शामिल होंगे। दूल्हे राजा घोड़ी पर बैठकर तोरण मारने आएंगे। विवाह समारोह स्थल पर वर माला का कार्यक्रम होगा। बाराती नृत्य करते आएंगे। विद्युत डेकोरेशन से रंगबिरंगी रोशनी की चकाचौंध रहेगी, लेकिन इनमें से किसी का आयोजन नहीं हो पाया। और कुछ घंटों में ही बहन आज पराई हो गई। हालांकि इस बात का उन्हें कोई रंज नहीं है। यदि इस तरह के सादा विवाह की परम्परा शुरू हो जाए तो हमारा समाज आदर्श बन जाएगा।

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