अब दिल्ली में होगी सैटलाइट आधारित पार्किंग, जानें इसके पीछे की टेक्नोलॉजी और कैसे करेगी काम


टेक्नोलॉजी सिर्फ अपने क्षेत्र में ही वृद्धि नहीं कर रही, बल्कि हेल्थ-केयर, साइंस से लकर अब छोटी-बड़ी लगभग कई परेशानियों का सोल्यूशन टेक्नोलॉजी के सहारे ही निकल रहा है. बाकी सभी चीजों के साथ-साथ जल्द ही आपको पार्किंग सिस्टम में भी टेक्नोलॉजी देखने को मिलेगी. दिल्ली में पहला सैटलाइट पर आधारित पार्किंग मैनेजमेंट सिस्टम कमला नगर में आने की योजना है. सैटलाइट आधारित पार्किंग सिस्टम कोलकाता में पहले से ही काम कर रहा है. इस तरह के पार्किंग सिस्टम में क्या टेक्नोलॉजी है और इसका कैसे इस्तेमाल किया जाएगा, जानते हैं इस पोस्ट में:

सैटलाइट आधारित सिस्टम कैसे करता है काम? सबसे पहले, पार्किंग स्लॉट्स या पार्किंग एरिया Geo-Tagged होंगे. जिन्हें नहीं पता, उन्हें बता दें, Geo-Tagging लोकल जानकारी को जियोग्राफिकल मेटाडाटा से डिजिटल मीडिया जैसे की- वेबसाइट्स, वीडियोज और फोटो में बदलने की प्रक्रिया है. Geo-Tag में जगह के नाम से लेकर उसकी दूरी आदि की सभी डिटेल्स मौजूद हो सकती हैं. दूसरे स्टेप में, इन पार्किंग स्पेस की सैटलाइट पर आधारित मॉनिटरिंग की जाएगी और इस पर रियल-टाइम काम किया जाएगा. तीसरे स्टेप में, यूजर्स को App को डाउनलोड कर के अपने व्हीकल्स के रजिस्ट्रेशन नंबर्स को लिंक करना होगा. चौथे स्टेप में, आपके व्हीकल की पार्किंग होते ही पार्किंग मीटर आपकी ऐप पर ही शुरू हो जाएगा. आखिरी स्टेप में, आप जब भी पार्किंग स्लॉट खली करेंगे, आपकी ऐप से ही डिजिटल पेमेंट हो जाएगी.

मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के नॉलेज पार्टनर अनुज मल्होत्रा ने बताया की- पार्किंग फी पेमेंट के लिए मोबाइल फोन्स का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसा एक मॉडल कोलकाता में पहले से क्रियान्वित है। नियम तोड़ने वालों के लिए सिक्योरिटी कैमरा और सैटलाइट मॉनिटरिंग होगी और उन्हें पार्किंग टिकट अपने आप इशू हो जाएगी। नए पार्किंग सिस्टम में सब कुछ मास्टर कंट्रोल सेंटर से कंट्रोल किया जाएगा। सिविक बॉडी व्हीकल्स की पार्किंग लोकेशंस को टैग करेगी और सैटलाइट एरिया में मौजदू पार्किंग स्पेस को मॉनिटर करेगी। सिविक बॉडी इसके लिए एक ऐप बनाएगी, जिसे लोगों को इस पार्किंग फैसिलिटी को इस्तेमाल करने के लिए डाउनलोड करना होगा। यूजर्स को अपनी ऐप में कुछ अमाउंट भी रखना होगा। यूजर्स के फोन्स उन्हें व्हीकल्स की नंबर प्लेट के साथ रजिस्टर होंगे। सैटलाइट के पार्किंग लोकेशन पर व्हीकल को डिटेक्ट करने के बाद पार्किंग मीटर शुरू हो जाएगा।
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