अगले 20 दिनों में देश के 400 जिलों में 'शामियाना' लगा कर बांटे जाएंगे कर्ज


बाजार में मांग बढ़ाने के लिए त्योहारी सीजन में ज्यादा से ज्यादा बैंकिंग कर्ज उपलब्ध कराने के फार्मूले को सरकार इस बार भी आजमाने जा रही है. इसमें सरकारी क्षेत्र के बैंकों की भूमिका सबसे अहम होगी. इन बैंकों के प्रमुखों के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की गुरुवार को अहम बैठक हुई और इसमें अगले 20 दिनों के भीतर देश के 400 जिलों में 'शामियाना फार्मूले' के तहत बैंकिंग कर्ज बांटने का फैसला किया गया. कर्ज आम जनता को भी बांटा जाएगा और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी ताकि वे अपनी तरफ से होम लोन, आटो लोन व अन्य उपभोक्ता लोन भी वितरित कर सकें.

दो चरणों में बांटे जाएंगे कर्ज 

वित्त मंत्रालय की तरफ से बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि वे दो चरणों में 400 जिलों को पर्याप्त कर्ज बांटे ताकि त्योहारी सीजन के दौरान आम जनता ज्यादा से ज्यादा खरीदारी करे. पहला चरण 29 सितंबर, 2019 तक होगा जिसमें 200 जिलों में बैंकों की तरफ से कर्ज वितरण के विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे. इसका बाद दूसरा चरण 10 अक्टूबर 2019 तक लागू होगा. कर्ज वितरण के लिए बैंकों की तरफ से शिविर लगाए जाएंगे और उसमें एनबीएफसी के साथ ही आम जनता को भी बुलाया जाएगा. चूंकि यह अस्थाई ढांचा होगा इसलिए इसका नाम शामियाना फार्मूला रखा गया है.

वित्त मंत्री ने बताया कि, ''बैंकों से कहा गया है कि वे नए ग्राहकों की तलाश करें. हर एक पुराने ग्राहक पर पांच नए ग्राहक खोजने का काम उन्हें करना होगा. कोशिश यह होगी कि जिन्हें कर्ज की जरुरत है उन्हें बिना किसी देरी के और समस्या के त्योहारी सीजन से पहले कर्ज मिले. बैंकों की तरफ से कई एनबीएफसी की पहचान पहले ही हो चुकी है जिन्हें वह कर्ज उपलब्ध करा सकते हैं.''

पुराने कर्जे के एकमुश्त निबटारे के लिए लाएं तेजी 

सीतारमण ने बताया कि, ''बैंकों से यह भी कहा गया है कि वे जुलाई-सितंबर के दौरान पुराने कर्जे के एकमुश्त निबटारे के काम को भी तेज करे. इसके तहत छोटे व मझोले उद्योगों पर खास तौर पर ध्यान दिया जाए. एमएसएमई पर बकाये कर्ज का अध्ययन कर उन्हें एकमुश्त निबटारे की सुविधा दी जाए.'' इससे उनके कर्ज एनपीए घोषित होने से बच सकेंगे. बैंकों को यह भी कहा गया है कि एमएसएमई के बकाये कर्ज को 30 मार्च, 2020 तक एनपीए घोषित नहीं किया जाए. सरकार की इस घोषणा के बाद बैंकों की तरफ से ज्यादा कर्ज वितरण का रास्ता तो साफ हो गया है.

त्योहारी सीजन में सबसे ज्यादा कर्ज ऑटो और आवास के लिए लिया जाता है और इन दोनों सेक्टरों की हालत पिछले कई महीनों से लगातार बिगड़ती जा रही है. नए ग्राहक कई वजहों से सामने नहीं आ रहे हैं. बैंक पहले ही कह चुके हैं कि उनके पास एक लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि है जिसे वह कर्ज के तौर पर दे सकते हैं। हाल के दिनों में कर्ज की दर भी कम हुई है. ऐसे में लेकिन अब देखना होगा कि ग्राहक कर्ज लेने के लिए आगे आता है या नहीं.
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