कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट (IIPM) के साथ अपने रिश्ते पर एक हलफनामा दायर करने को कहा है. इसके अलावा इसके व्यवसाय को फैलाने में अपनी भूमिका को स्पष्ट करने का भी निर्देश दिया. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक आईआईपीएम के साल्ट लेक परिसर के दो छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.
जोकि पूरे देश में बंद हो गया हैं. छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्होंने आईआईपीएम में प्रवेश के दौरान 20 लाख रुपये से अधिक खो दिए.
याचिकाकर्ताओं के वकील देबंजन दत्ता ने गुरुवार को उच्च न्यायालय को बताया कि 2017 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने आईआईपीएम को एक फर्जी संस्थान घोषित किया था. दत्ता ने आईआईपीएम के खिलाफ आपराधिक जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की भी मांग की.
दत्ता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने मार्च 2018 में साल्ट लेक इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई लेकिन कोई उचित जांच नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने नवंबर 2018 में शाहरुख खान, आईआईपीएम के प्रमोटर अरिंदम चौधरी और उनकी कंपनियों के साथ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया.
चूंकि शाहरुख खान आईआईपीएम के ब्रांड एंबेसडर थे. इसलिए उन्होंने शाहरुख के खिलाफ सीबीआई जांच की भी मांग की. न्यायमूर्ति बसाक ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार और आईआईपीएम के मालिक को यह हलफनामा दाखिल करना होगा कि मामला सीबीआई को क्यों नहीं सौंपा जाना चाहिए.
आदेश में कहा गया है कि पूजा के बाद अदालत को फिर से खुलने के दो हफ्ते के भीतर हलफनामा देना होगा.