भारतीय वैज्ञानिकों ने तैयार किया सस्ता वॉटर फिल्टर, जानें आपके लिए होगा कितना फायदेमंद


भारतीय शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सस्ता और साधारण फिल्टर बनाया है जो पानी में घुले आर्सेनिक और लौह तत्वों को 99.9 फीसद तक दूर करेगा। यह फिल्टर भारत के ग्रामीण इलाकों में बेहद कारगर साबित होगा। ग्रामीण लोग महंगा फिल्टर नहीं खरीद पाते और आर्सेनिक संदूषकों वाले भूजल को पीने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे उन्हें कई बीमारियां होती हैं। इस फिल्टर से उन्हें सहूलियत मिलेगी।

फिल्टर से छने पानी को पीने से जल से होने वाली बीमारियों को कम किया जा सकता है। असम की तेजपुर यूनिवर्सिटी के रॉबिन कुमार दत्ता के नेतृत्व में एक टीम द्वारा बनाए गए इस फिल्टर ‘अर्सिरॉन नीलोगन’ में 99.9 फीसद तक आर्सेनिक संदूषण को छानने की क्षमता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, आर्सेनिक पृथ्वी की सतह में मौजूद एक प्राकृतिक घटक है जो हमारे पर्यावरण में भी घुला रहता है।

बारिश के बाद यह जमीन में बैठ जाते हैं और पानी के साथ भूमिगत जल में मिल जाते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि शरीर के लिए अकार्बनिक आर्सेनिक सबसे ज्यादा घातक होते हैं। यदि व्यक्ति इनके संपर्क में लंबे समय तक रहता है तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां शरीर को जकड़ सकती हैं। भूजल आर्सेनिक से भारत में असम, पश्चिम बंगाल, यूपी और बिहार सहित कई राज्य प्रभावित हैं। तेजपुर यूनिवर्सिटी के रसायन विज्ञान विभाग के रॉबिन कुमार दत्ता ने कहा यह बहुत ही साधारण फिल्टर है और इसकी लागत भी ज्यादा नहीं है।

उन्होंने कहा कि ‘अर्सिरॉन नीलोगन’ में एक साधारण प्रक्रिया के तहत पानी के ड्रम में ऐसी स्थिति पैदा की जाती है जो आर्सेनिक को पानी से अलग कर देती है। इसके लिए फिल्टर में सोडा, पोटेशियम परमैंगनेट प्रयोग किया जाता है। जो पानी से लौह तत्वों और आर्सेनिक को अलग कर देता है। उन्होंने कहा कि 20 लीटर पानी को स्वच्छ करने के लिए दो ग्राम खाने का सोडा, पोटेशियम परमैंगनेट की छह बूंदें और दो मिलीलीटर फेरिक क्लोराइड पर्याप्त है।
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