आरबीआइ 2021 तक भारत को बनायेगा कैशलेस सोसाइटी


भारतीय समाज को कैशलेस सोसाइटी बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने एक विजन डॉक्यूमेंट रिलीज किया. इसमें केंद्रीय बैंक ने बताया कि एक सेफ, सिक्योर, आसानी से सबकी पहुंचवाला और वहनीय इ-पेमेंट सिस्टम कैसे सुनिश्चित किया जायेगा. आरबीआइ ने डिजिटल पेमेंट पर ग्राहकों से कम चार्ज वसूलने का भी प्रस्ताव रखा है. आरबीआइ ने डिजिटल पेमेंट को आकर्षक बनाने के लिए इसे सस्ता और सुगम बनाने का भी समर्थन किया है. बैंक ने बताया कि डिजिटल पेमेंट के सेक्टर में अधिक से अधिक कंपनियों के आने से उनमें बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण तेजी से इनोवेशन बढ़ेगा, जिससे समाज को हाइ डिजिटल और कैशलेस बनाया जा सकेगा. आरबीआइ ने विजन डॉक्यूमेंट ‘पेमेंट एंड सेटैलमेंट सिस्टम इन इंडिया 2019-2021’ में अपनी योजना का योजना का विवरण दिया है. आंकड़ों के हिसाब से देश में डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ रहा है. तीन साल में यानी वर्ष 2021 तक चार गुना अधिक हो जायेगी.

आरबीआइ के मुताबिक पेमेंट सिस्टम यूपीआइ और आइएमपीएस (इमीडिएट पेमेंट सर्विसेज)  भारत में सालाना 100 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ कर रहे हैं. वहीं नेशनल इलेक्ट्रॅानिक फंड्स ट्रांसफर (एनइएफटी) की सालाना ग्रोथ वर्ष 2021 तक मात्र 40 फीसदी ही हो पायेगी. यह अभी भी आम जनमानस में लोकप्रिय नहीं है. एनइएफटी इसलिए भी विस्तार नहीं कर पा रही है क्यों कि यह केवल बैंकिंग ऑवर में ही उपलब्ध है. यानी लोग एनइएफटी तभी कर सकते हैं जब बैंक खुले हों. विजन डॉक्यूमेंट के मुताबिक एनइएफटी को सातों दिन 24 घंटा शुरू करने का विचार किया जा रहा है, अगर ऐसा हुआ, तो आप छुट्टी के दिन भी एनइएफटी से पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं.

आरबीआइ ने अपने आगे बताया कि कैश लेनदेन ग्राहकों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर भी लागत का असर डालता है. अगर कुछ ग्राहक कैश से डिजिटल की ओर शिफ्ट हो जायें और सिस्टम को डिजिटल किया जाये, तो लागत कम की जा सकती है. अगर ग्राहकों के पास सस्ता और कई सुगम विकल्प हों, तो उनके अनुभव को बेहतर बनाया जा सकता है. जीडीपी के लिए डिजिटल पेमेंट का बढ़ता टर्नओवर विकास नापने का पैमाना है.
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