कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के दौरान गंभीर अनियमितता और निर्धारित मानकों के उल्लंघन के आरोप में चुनाव आयोग ने बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) और बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) पर बड़ी कार्रवाई की है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पश्चिम बंगाल कार्यालय और निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, आयोग ने आठ बीएलए के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इन पर आरोप है कि उन्होंने एन्यूमरेशन फॉर्म के वितरण में हस्तक्षेप किया। बीएलओ से फॉर्म लेकर स्वयं वितरण किया। साथ ही आयोग ने आठ बीएलओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
इन पर यह आरोप है कि आयोग के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए घर-घर जाकर एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित करने के बजाय किसी विशेष स्थान से सामूहिक रूप से वितरण की प्रक्रिया अपनाई। सूत्रों ने बताया कि आयोग ने शुक्रवार को ही ऐसे बीएलओ को अंतिम चेतावनी दी थी। बावजूद इसके, इन आठ बीएलओ ने वही तरीका दोहराया। इसके बाद आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया। ये आठ बीएलओ कूचबिहार, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिलों से हैं।
आयोग ने एक बार फिर सभी निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और सभी सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) को निर्देश दिया है कि वे बीएलओ की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखें। आयोग ने बीएलओ को सख्त चेतावनी दी है कि वे एन्यूमरेशन फॉर्म की जिम्मेदारी किसी तीसरे व्यक्ति, चाहे वह परिजन, मित्र या परिचित ही क्योंन हों को न सौंपें। ऐसा करना सेवा आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा।
राज्य में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान मंगलवार से शुरू हुआ है। शनिवार रात आठ बजे तक राज्य में 5.15 करोड़ से अधिक एन्यूमरेशन फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने बताया, “वर्तमान प्रगति को देखते हुए उम्मीद है कि फॉर्म वितरण की प्रक्रिया इस माह के अंत तक पूरी कर ली जाएगी।”
पश्चिम बंगाल में 27 अक्टूबर तक की मतदाता सूची के अनुसार कुल मतदाताओं की संख्या सात करोड़ 66 लाख 37 हजार 529 है। वर्ष 2002 में पश्चिम बंगाल में जब पिछली बार एसआईआर आयोजित हुआ था, उस समय जिन मतदाताओं या उनके माता-पिता के नाम मतदाता सूची में शामिल थे, उन्हें केवल एन्यूमरेशन फॉर्म भरकर जमा करना होगा। उन्हें अपनी पात्रता सिद्ध करने के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी। जिन मतदाताओं या उनके अभिभावकों के नाम वर्ष 2002 की सूची में नहीं थे, उन्हें आयोग द्वारा निर्दिष्ट 11 दस्तावेजों में से किसी एक को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।

Post a Comment