प्रभु राम के आदर्शों से होगा राष्ट्र उत्थान : रामभद्राचार्य


सुलतानपुर: उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर मे चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा है कि राष्ट्र का उत्थान केवल प्रभु राम के आदर्शों पर चलने से ही संभव है। उन्होंने विजेथुआ महोत्सव के सातवें दिन वाल्मीकि रामायण कथा सुनाते हुए यह बात कही।

स्वामी रामभद्राचार्य ने 'राम' शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि 'रा' का अर्थ राष्ट्र और 'म' का अर्थ मंगल है, यानी राम राष्ट्र का मंगल करने वाले हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत राम के बताए रास्ते पर चलने वाला देश है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी धन के लिए कथा नहीं की और वैदिक मर्यादा का विरोध नहीं करना चाहिए।

कथा के दौरान उन्होंने भगवान के निर्गुण स्वरूप पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान निर्गुण नहीं हैं, बल्कि उनके पास निरंतर गुण रहते हैं। जैसे अग्नि को दाहकता, वायु को स्पर्श और आकाश को शब्द नहीं छोड़ सकता, उसी प्रकार गुण भगवान को नहीं छोड़ सकते। जिनमें संपूर्ण सद्गुण छिपे रहते हैं, उस भगवान को निर्गुण कहते हैं। उनके अनुसार, निर्गुण का अर्थ गुणहीन नहीं है, बल्कि गुणों से परे होना है। उन्होंने 'गुण' को रस्सी के समान बताया, जिसे पकड़कर जीव संसार सागर से बाहर आ सकता है।

पद्म विभूषण स्वामी रामभद्राचार्य ने भारतीय वैदिक संस्कृति को जानने के लिए संस्कृत भाषा के ज्ञान को अनिवार्य बताया। उन्होंने उपदेशकों को इस पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी। उनके अनुसार, संस्कृत और संस्कृति भारत के दो महान रूप हैं।

महोत्सव के आयोजक विवेक तिवारी ने अपनी पत्नी के साथ व्यासपीठ का पूजन किया। तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी रामचंद्र दास ने गुरु अर्चन किया। इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश गुप्त, पूर्व मंत्री मोती सिंह, नाबार्ड के पूर्व सीजीएम ए के सिंह, विधायक राजेश गौतम, चेयरमैन आनंद जायसवाल, प्रमुख प्रतिनिधि डॉ. श्रवण मिश्र सहित कई गणमान्य व्यक्ति और भक्तगण उपस्थित रहे।

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