गांधीजी के "स्वच्छ भारत" के सपने का साकार करने के लिए वर्ष 2014 में 'स्वच्छ भारत मिशन' की शुरूआत हुई, तब से बिहार इस लक्षित उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। स्वच्छता के महत्व को अंगीकार करते हुए विकसित बिहार के सात निश्चय -1 में राज्य सरकार द्वारा 'शौचालय निर्माण घर का सम्मान' को शामिल किया गया तथा सात निश्चय – 2 अंतर्गत सरकार के सात निश्चयों में 'स्वच्छ गांव -समृद्ध गांव' को सम्मिलित किया गया। इससे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यों को बल मिला ।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) प्रथम चरण (2014-15 से 2019-20) तथा द्वितीय चरण (2020-21 से 2025-26) में पिछले 11 वर्षों में व्यवहार परिवर्तन केंद्रित जन-जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से एक करोड़ 45 लाख 22 हजार अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ।भूमिहीन,चलंत एवं अस्थायी आबादी को शौचालय की सुलभता के लिए अब तक 10 हजार 317 सामुदायिक स्वच्छता परिसर का निर्माण किया गया है ।
श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार ने इससे आगे बताया कि बिहार राज्य में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अंतर्गत ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के कार्यों, पैडल रिक्शा, ई-रिक्शा के संचालन, अपाशिष्ट प्रसंस्करण इकाई, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई, गोबरधन बायोगैस इकाई, मलयुक्त कीचड़ उपचार इकाई इत्यादि सृजित परिसंपत्तियों के संचालन एवं अनुरक्षण में 8,053 स्वच्छता पर्यवेक्षक एवं एक लाख 41 हजार से अधिक स्वच्छता कर्मी अंशकालिक रूप से कार्यरत हैं, जिनके मानदेय पर एक वर्ष में 934 करोड़ रुपये व्यय संभावित है, उसमें से राज्य योजना निधि से 491 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है एवं केंद्रीय वित्त आयोग की अनुशंसा पर प्राप्त टाइड निधि से कुल राशि 433 करोड़ रुपये प्रावधानित है।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तृतीय चरण में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के कार्यों के सुचारू संचालन हेतु उपयुक्त राशि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। केंद्रीय योजनाओं हेतु प्रावधानित प्रशासनिक व्यय सीमा के आलोक में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अंतर्गत प्रावधानित 1% प्रशासनिक व्यय सीमा को बढायी जाय। प्रशासनिक व्यय एवं IEC मद में व्यय की सीमा को लचीला बनाकर इसे बढाकर 6% या अधिक की जा सकती है अथवा आवश्यक राशि एकमुश्त कर्णांकित की जा सकती है, ताकि राज्यों को अपनी आवश्यकता अनुसार व्यय करने की स्वतंत्रता मिल सके एवं प्रशासनिक मद एवं IEC मद अंतर्गत पर्याप्त राशि की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके ।
2. परिसंपत्तियों के अनुरक्षण हेतु पृथक राशि : स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण अंतर्गत सृजित चल एवं अचल परिसंपत्तियों की कार्यकुशलता, संचालन एवं अनुरक्षण हेतु अलग से राशि का प्रावधान किया जाना आवश्यक होगा।
3. घरेलू शौचालय (IHHL) और सामुदायिक स्वच्छता परिसर (CSC) :
(i) स्वच्छ भारत मिशन 3.0 के अंतर्गत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण उपरांत प्रोत्साहन राशि ₹12,000 से बढ़ाकर ₹20,000 करने पर विचार किया जा सकता है। (ii) बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में क्लाइमेट रेज़िलिएंट शौचालयों (बायो-डाइजेस्टर, रेज़्ड पिट, रेज्ड सेप्टिक टैंक) के लिए ₹40,000 प्रति शौचालय का विशेष प्रावधान किया जा सकता है! (iii) सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण की लागत भी ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख किया जाना चाहिये, जिससे इनका डिजाइन उन्नत होगा, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग पैन, महिला चेंजिंग रूम, यूरिनल, सेनिटरी इन्सीनेरेटर और वॉशबेसिन की सुविधा होगी। निर्माण सामग्री एवं श्रमिक व्यय की बढी लागत के कारण 3 लाख की राशि अपर्याप्त है।
4. शहर के निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्र (पेरी अर्बन) हेतु पृथक नीति, व्यवस्था एवं राशि का प्रावधान : स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तृतीय चरण में बढते नगरीकरण तथा शहर के निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्र (पेरी अर्बन) की चुनौतियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पेरी अर्बन क्षेत्र में कचरे की मात्रा अधिक उत्पादित होती है। विभिन्न तरह की औद्योगिक एवं व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन के कारण अपशिष्ट की मात्रा अधिक होने के साथ-साथ उसकी प्रकृति एवं प्रकार ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में अलग होते हैं। यहां पैडल रिक्शा या ई रिक्शा से कचरा का संग्रह एवं परिवहन करना कठिन है। परिवहन हेतु ट्रैक्टर, पिक-अप ट्रक, हाईड्रोलिक वाहन, अपशिष्ट प्रबंधन हेतु मशीनीकृत व्यवस्था, विशेष अपिशष्ट प्रसंस्करण एवं प्रबंधन तकनीक इत्यादि की आवश्यकता है ।
साथ ही, कचरा के प्रसंस्करण एवं निष्पादन के लिए परिसंपत्ति, तकनीक, मानव बल इत्यादि में आवश्यकतानुसार बदलाव एवं वर्तमान संख्या एवं प्रावधानिक राशि में बढ़ोत्तरी आवश्यक है ।
अतएव स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तृतीय चरण में तेजी से बढते शहरीकरण एवं इसके कारण ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों को निपटने हेतु विशेष नीति, आवश्यक परिसंपत्ति, प्रणाली एवं पृथक राशि का प्रावधान किया जा सकता है ।
5. संस्थागत स्वच्छताः आंगनवाड़ी केन्द्रों में बाल-हितैषी शौचालय निर्माण हेतु ₹30,000 प्रति इकाई की राशि प्रावधानित की जा सकती है ।
6. उद्यमिता विकास : कम्पोस्टिंग, रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग से जुड़े उद्यमों को वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग प्रदान किया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर इनोवेशन हब और इनक्यूबेटर बनाए जा सकते हैं, ताकि स्वच्छता से जुड़े स्टार्टअप्स और सामुदायिक नवाचारों को प्रोत्साहन मिले।
7. तकनीक आधारित मॉनिटरिंग : एक कमांड एवं कंट्रोल सेंटर (CCC) स्थापित किया जा सकता है जो MIS और IoT डैशबोर्ड के माध्यम से राज्य स्तर पर वास्तविक समय में निगरानी करेगा। इसके अलावा एक मोबाइल ऐप तैयार किया जा सकता जो SLWM परिसंपत्तियों को ट्रैक करेगा और नागरिकों से फीडबैक लिया जाएगा ।
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